सूर्य सहस्रनाम स्तोत्र – surya sahasranam stotra

सूर्य सहस्रनाम स्तोत्र - surya sahasranam stotra

भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता है और पंचदेवताओं में से एक हैं, इसके साथ ही नवग्रहों में प्रमुख हैं और ग्रहराज के नाम से जाने जाते हैं। आरोग्य, आत्मा आदि के कारक हैं। भगवान सूर्य की अराधना में सहस्रनाम पाठ करना भी विशेष महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही हवन के लिये भी सहस्रनाम का महत्व होता है। इस आलेख में भगवान सूर्य के दो सहस्रनाम दिये गये हैं जिसमें से एक भविष्य पुराणोक्त है और दूसरा स्कन्द पुराणोक्त।

श्रीसूर्य सहस्रनाम स्तोत्रम् – स्कन्द पुराणोक्त

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कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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