इस आलेख में वर (वरयात्री) के आगमन से आरम्भ करके विवाह की सम्पूर्ण विधि और मंत्र दी गयी है। आलेख में विवाह की पद्धति को सरल करने का भी प्रयास किया गया है जिससे सरलता पूर्वक विवाह संपन्न किया जा सकता है और सामान्य जनों को भी सरलता से समझ में आ सकता है।
यह कर्मकाण्डी ब्राह्मणों के लिए तो उपयोगी है ही सामान्य जनों के लिये भी ज्ञानवर्द्धक है। जयमाला की शास्त्रोचित विधि भी दी गयी है जिससे उपयोगिता में वृद्धि होती है और सामान्य जनों के लिये भी विशेष उपयोगी सिद्ध होता है। In this vivah vidhi, the complete method and mantras of vivah have been described.
विवाह पद्धति | विवाह विधि और मंत्र – वाजसनेयी – vivah vidhi
विवाह कोई फंक्शन/फोटो सेशन आदि नहीं है एक संस्कार है जहां से व्यक्ति के गृहस्थ जीवन का शुभारम्भ होता है, अर्द्धहीनता का समापन होता है और पूर्णता की प्राप्ति होती है। कई लोग हिन्दू विवाह शब्द का प्रयोग करते देखे जाते हैं जो एक भ्रममात्र है। विवाह का तात्पर्य ही हिन्दू विवाह होता है, इसलिये हिन्दू विवाह कहना अज्ञानता का परिचायक है।
जैसे निकाह कहने से सीधा अर्थ मुस्लिम निकाह ही होता है अतः मुस्लिम निकाह कहना आवश्यक नहीं होता मात्र निकाह कहना ही सही होता है। क्रिश्चियन मैरिज कहना सही नहीं होता मैरिज का तात्पर्य क्रिश्चियन मैरिज ही होता है।किन्तु बुद्धुओं की कोई कमी नहीं है और गूगल व AI भी हिन्दू विवाह – हिन्दू विवाह बताता रहता है। इसी तरह शादी कहने से भी विवाह का बोध नहीं होता निकाह का ही बोध होता है। विवाह के पर्यायवाची शब्दों में उद्वाह, परिणय, पाणिग्रहण आदि शब्द आते हैं।
अतः सर्वप्रथम तो हिन्दुओं को यही सुधार करना चाहिये कि जैसे निकाह कहना गलत होगा उसी प्रकार शादी या मैरिज कहना भी गलत है। शादी हो या मैरिज न ही विवाह के पर्याय हैं और न ही विवाह के समानार्थी अतः हिन्दी में तो दूर यदि अंग्रेजी भी बोल रहे हों तो मैरिज न बोलकर विवाह ही बोलना चाहिये । जैसे माइंड का अर्थ मस्तिष्क हो सकता है किन्तु मन के लिये किसी भाषा में सही शब्द का अभाव है, चित्त के लिये उचित शब्द का मिलना असंभव है। उसी प्रकार विवाह में जो संस्कार भाव निहित है, जन्म-जन्मांतर का सम्बन्ध भाव है, जीवन की पूर्णता का भाव है वह शादी, मैरिज आदि शब्दों से प्रकट नहीं होता।
विवाह करने वाले वर-कन्या को अभिभावक प्रथमतः विवाह के संबंध में ज्ञान दें, जानकारी प्रदान करें जिससे दोनों विवाह का महत्व समझ सके और शास्त्रोक्त विधि से करे। ज्ञान का अभाव और अज्ञान (जो विकृत शिक्षा-व्यवस्था से गिफ्ट में प्राप्त होता है) का प्रभाव ही कि विवाह के समय हवन तो 5 मिनट में करना चाहता है किन्तु फोटो घंटो खिंचवाता है। विवाह मंडप पर 2 – 3 घंटे के लिये भी धोती पहनने में हीनभावना उत्पन्न होती है। जिस म्लेच्छ की दृष्टि भी विवाह स्थल, सामग्री, वर-वधू पर नहीं पड़नी चाहिये ज्ञानाभाव के कारण ही उससे वर अपनी दाढ़ी कटवाता है और वधू मेंहदी लगवाती है।
विवाह सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करने हेतु कुछ महत्वपूर्ण आलेख हैं जिसे पढ़ा जा सकता है :
- विवाह क्या है, अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, बाल विवाह आदि की विस्तृत जानकारी – Vivah
- कैसे बनता है विवाह मुहूर्त ? विवाह संबंधी सभी महत्वपूर्ण जानकारी
घटीयंत्र स्थापन