श्री जयदेव कृत मंगल गीत बहुत अद्भुत प्रभावकारी है। इसका श्रवण मन को तरंगित कर देता है।
मंगल गीत – जय जय देव हरे – श्री जयदेव रचित
श्रितकमलाकुचमण्डल धृतकुण्डल ए ।
कलितललितवनमाल जय जयदेव हरे ॥१॥
दिनमणिमण्डलमण्डन भवखण्डन ए ।
मुनिजनमानसहंस जय जयदेव हरे ॥२॥
कालियविषधरभञ्जन जनरञ्जन ए ।
यदुकुलनलिनदिनेश जय जयदेव हरे ॥३॥
मधुमुरनरकविनाशन गरुडासन ए ।
सुरकुलकेलिनिदान जय जयदेव हरे ॥४॥
अमलकमलदललोचन भवमोचन ए ।
त्रिभुवनभवननिधान जय जयदेव हरे ॥५॥
जनकसुताकृतभूषण जितदूषण ए ।
समरशमितदशकण्ठ जय जयदेव हरे ॥६॥
अभिनवजलधरसुन्दर धृतमन्दर ए ।
श्रीमुखचन्द्रचकोर जय जयदेव हरे ॥७॥
तव चरणे प्रणता वयं इति भावय ए ।
कुरु कुशलं प्रणतेषु जय जयदेव हरे ॥८॥
श्रीजयदेवकवेरिदं कुरुते मुदम् ए ।
मङ्गलमंजुलगीतं जय जयदेव हरे ॥९॥
गीत गोविन्द – जय देव कृत
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ सुशांतिर्भवतु ॥ सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु ॥
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।