दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 6

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 6

जब देवी ने शुम्भ-निशुम्भ के दूत सुग्रीव को प्रतिज्ञा वाली बात कहकर वापस भेज दिया था तो क्रुद्ध होकर शुम्भ-निशुम्भ ने सेनापति धूम्रलोचन सेनाओं के साथ जाकर बाल पकड़कर घसीटते हुये लाने के लिये कहा। 60000 सेनाओं के साथ जाकर जब धूम्रलोचन देवी के पास गया तो देवी ने हुंकार मात्र से ही उसका वध कर दिया और सेनाओं को सिंह ने मार दिया। छठे अध्याय में उवाचादि सहित कुल २४ श्लोक हैं जिनमें से ४ उवाच और २० श्लोक हैं। इस आलेख में दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय दिया गया है।

॥ ध्यानम् ॥

छठे अध्याय कथा का सारांश :

  • सुग्रीव नामक दूत से देवी की प्रतिज्ञा वाली संदेश सुनकर शुम्भ और निशुम्भ अत्यंत क्रोधित हुआ।
  • सेनापति धूम्रलोचन को सैनिकों के साथ जाकर केशों को पकड़कर घसीटते हुये लाने की आज्ञा के साथ ही यह भी कहा कि यदि देवता आदि कोई भी रोके तो उसकी हत्या कर देना।
  • धूम्रलोचन 60000 सैनिकों के साथ देवी के पास आया और देवी को स्वेच्छा से चलने के लिये कहा।
  • देवी के मना करने पर कहने लगा कि यदि स्वेच्छा से नहीं चलोगी तो केशों को पकड़कर घसीटते हुये ले चलूंगा।
  • ऐसा कहकर धूम्रलोचन देवी की और लपका।
  • देवी ने हुंकार मात्र से ही धूम्रलोचन को भस्म कर दिया।
  • उसकी विशाल सेना फिर भी युद्ध करने लगी।
  • देवी का वाहन सिंह भी उन असुरों पर टूट पड़ा और तुरंत ही सारी सेना समाप्त हो गई।

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः सुशांतिर्भवतु सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु

आगे सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के अनुगमन कड़ी दिये गये हैं जहां से अनुसरण पूर्वक कोई भी अध्याय पढ़ सकते है :

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