अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

दुर्गा सप्तशती पाठ करते समय कवच स्तोत्र पाठ करने के उपरांत अर्गला स्तोत्र का पाठ किया जाता है। वैसे क्रम में अंतर भी पाया जाता है तथापि अधिकांशतः यही क्रम स्वीकार किया गया है और प्रचलित है। इसके अतिरिक्त भी बाधाओं से मुक्ति, मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु स्वतंत्र रूप से भी अर्गला स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है। अर्गला स्तोत्र में अनेक प्रकार की कामनायें की गयी हैं जिसकी प्राप्ति के लिये भगवती से प्रार्थना की जाती है। इस आलेख में अर्गला स्तोत्र दिया गया है और शुद्ध से शुद्ध पाठ रखने का भी प्रयास किया गया है।

अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

  • अर्गला का तात्पर्य है सभी प्रकार के बाधाओं के निवारण में अग्रणी।
  • श्री दुर्गा सप्तशती पाठ का एक महत्वपूर्ण अङ्ग है अर्गला स्तोत्र।
  • अर्गला स्तोत्र के मंत्रों में हम देवी भगवती से कामना करते हैं कि हमारे शत्रुओं का नाश हो और जीवन में विजय-सफलता मिले।
  • अर्गला स्तोत्र दुःख निवारक और विजय प्रदायक है।
  • अर्गला स्तोत्र के पाठ करने वाले की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • सप्तशती पाठ का अङ्ग होने के कारण सप्तशती पाठ क्रम में अर्गला स्तोत्र का पाठ करना आवश्यक होता है।
  • देवी कवच पाठ करने के बाद अर्गला स्तोत्र का पाठ किया जाता है।
  • अर्गला स्तोत्र में कुल पच्चीस (२५) श्लोक हैं।

अर्गला स्तोत्र के लाभ

अर्गला स्तोत्र माँ दुर्गा का एक अनुपम स्तोत्र है जिसका श्रद्धा-भक्ति से पाठ करने वाला व्यक्ति अपनी सभी कामनाओं की पूर्ति कर सकता है।

  • मनुष्य जिस भी फल की कामना करता है, वह सभी मात्र अर्गला स्तोत्र के पाठ से ही पूर्ण हो जाते हैं।
  • इस पाठ को करने से ही सभी कार्यों में विजय प्राप्त होती है।
  • परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
  • यदि पत्नी का व्यवहार अनुकूल न हो और दाम्पत्य सुख में कमी हो तो अर्गला स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी होता है।
  • देवी कवच ​​के माध्यम से पहले चारों ओर सुरक्षा का एक चक्र बनाया जाता है और फिर उसके बाद विजयश्री की कामना से अर्गला स्त्रोत्र के माध्यम से देवी भगवती से प्रार्थना की जाती है।
  • नवरात्रि में इसे पढ़ने का एक विशेष विधान और महत्व है।
  • अर्गला स्तोत्र में भगवती से जिन फलों की प्रार्थना की गयी है अर्थात जो-जो फल प्राप्त होते हैं वो हैं : रूप (सौंदर्य), जय (विजय प्राप्ति), यश, शत्रुओं का नाश, सुलक्षणा, सुंदर और सुशील पत्नी की प्राप्ति।
अर्गला स्तोत्र के लाभ
अर्गला स्तोत्र के लाभ

जिनके जीवन में असफलता, विवादादि में पराजय, अपयश की प्राप्ति, शत्रुओं से परेशानी, विवाह में विलम्ब इत्यादि अनेक प्रकार की समस्यायें होती हैं उनके लिये नित्य अर्गला स्तोत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है। अर्गला स्तोत्र के पाठ से पहले यदि कवच का पाठ भी किया जाय तो विशेष फल की प्राप्ति होती है।

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः सुशांतिर्भवतु सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु

आगे सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के अनुगमन कड़ी दिये गये हैं जहां से अनुसरण पूर्वक कोई भी अध्याय पढ़ सकते है :

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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