सर्वतोभद्र मंडल वेदी – पूजन

सर्वतोभद्र मंडल वेदी - पूजन

सर्वतोभद्र मंडल सबसे मुख्य मंडल है जो सभी देवताओं की पूजा के लिये भी बनाया जा सकता है तथापि कुछ अन्य देवता विशेष वेदियां भी होती हैं। सर्वतोभद्र मंडल मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा में प्रयुक्त होता है। प्रधानवेदी प्रधानदेवता के अनुसार बनायी जाती है और सर्वतोभद्र विष्णु पूजा के लिये प्रधान वेदी होती है। इस पर ब्रह्मा सहित कुल 57 देवताओं का आवाहन-पूजन किया जाता है।

मध्य में कलश स्थापित करके प्रधान देवता की स्थापना पूजा की जाती है। अन्य देवताओं की पूजा में भी यदि देवता विशेष वेदी न बना सके तो सर्वतोभद्र बनाकर पूजा की जा सकती है। इस आलेख में सर्वतोभद्र मंडल देवताओं का आवाहन और पूजन विधि व मंत्र दिया गया है।

सर्वतोभद्र मंडल चित्र यहाँ दिया गया है जिसे देखकर वेदी बनाया जा सकता है। किसी भी देवता की पूजा में सर्वतो भद्र मंडल बनाया जाता है। वैसे शिवपूजन में चतुर्लिंगतो भद्र और देवी पूजन में गौरीतिलक मंडल भी बनाया जाता है लेकिन सर्वतोभद्र मंडल पर भी सभी देवताओं की पूजा की जा सकती है।

सर्वतोभद्र मंडल देवता पूजन वास्तुमंडल पूजा के बाद किया जाता है एवं सर्वतोभद्र मंडल पूजा के बाद नवग्रह मंडल की पूजा की जाती है। ये अनुष्ठानों का क्रम है यज्ञों में वेदी पूजा का क्रम इससे भिन्न होता है। सर्वतोभद्र मंडल देवता नाम के साथ-साथ नीचे सर्वतोभद्र मंडल पूजन मंत्र दिया जा रहा है जिससे पूजा करने में लाभान्वित हो सकते हैं।

सर्वतोभद्र मंडल चक्र
सर्वतोभद्र मंडल चक्र

१. ब्रह्मा (मध्य वापी) : ॐ ब्रह्म यज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमतः सुरुचो वेनऽआवः। सबुध्न्या उपमाऽअस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसश्च विवः॥ ॐ भूर्भुवः स्वः ब्रह्मण इहागच्छ इह तिष्ठ। ॐ भूर्भुवः स्वः ब्रह्मणे नमः ॥

२. सोम (उत्तर वापी) : ॐ वय ᳪ सोमव्रते तव मनस्तनूषु बिब्भ्रतः। प्रजावन्तः सचेमहि॥ ॐ भूर्भुवः स्वः सोम इहागच्छ इह तिष्ठ। ॐ भूर्भुवः स्वः सोमाय नमः॥

३. ईशान (ईशान खण्ड) : ॐ तमीशानञ्जगतस्तस्थुषस्पतिं धियञ्जिन्वमवसे हूमहे वयं। पूषा नो यथा वेदसामसद्वृधे रक्षिता पायुरदब्धः स्वस्तये ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः ईशान इहागच्छ, इह तिष्ठ । ॐ भूर्भुवः स्वः ईशानाय नमः॥

४. इन्द्र (पूर्व वापी)- ॐ त्रातारमिन्द्रमवितारमिन्द्रᳪ हवे हवे सुहव ᳪ शूरमिन्द्रम्, ह्वायामि शक्रम्पुरुहूतमिन्द्र ᳪ स्वस्ति नो मघवा धात्विन्द्रः॥ ॐ इन्द्र, इहागच्छ, इह तिष्ठ । ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राय नमः॥

५. अग्नि (अग्निकोण खण्ड )- ॐ त्वन्नोऽअग्ने तव पायुभिर्मघोनो रक्ष तन्वश्च वन्द्य। त्राता तोकस्य तनये गवामस्य निमेषᳪरक्षमाणस्तवव्व्रते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः अग्ने इहागच्छ, इह तिष्ठ।ॐ भूर्भुवः स्वः अग्नये नमः ॥

६. यम (दक्षिण वापी)- ॐ यमाय त्वांगिरस्वते पितृमते स्वाहा। स्वाहा घर्माय स्वाहा धर्मः पित्रे ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः यम इहागच्छ, इह तिष्ठ। ॐ भूर्भुवः स्वः यमाय नमः॥

७. निर्ऋति (नैर्ऋत्यकोण खण्ड)- ॐ असुन्नवन्तमयजमानमिच्छस्तेनस्येत्यामन्विहितस्करस्य। अन्यमस्मदिच्छ सात ऽइत्या नमो देवि निर्ऋते तुभ्यमस्तु ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः निरृत इहागच्छ, इह तिष्ठ । ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋतये ॥

८. वरुण (पश्चिम वापी)- ॐ तत्त्वा यामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविर्भिः। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशᳪस मा नऽआयुः प्रमोषीः॥ ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ, इह तिष्ठ। ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः॥

९. वायु (वायुकोण खण्ड)- ॐ आ नो नियुद्भिः शतिनीभिरध्वर ᳪ सहश्रिणीभिरुपयाहि यज्ञम्। वायो ऽअस्मिन्त्सवने मादयस्व यूयम्पात स्वस्तिभिः सदा नः ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः वायु इहागच्छ, इह तिष्ठ । ॐ भूर्भुवः स्वः वायवे नमः॥

One thought on “सर्वतोभद्र मंडल वेदी – पूजन

Leave a Reply