दुर्गा कवच स्तोत्र – दुर्गा कवच संस्कृत

दुर्गा कवच स्तोत्र

किसी भी स्तोत्र-मंत्र-कथा आदि का वास्तविक फल संस्कृत पाठ करने से ही सिद्ध हो सकता है। संस्कृत भाषा मात्र नहीं देववाणी कहलाती है। यदि संस्कृत पाठ न किया जा सके तो श्रवण करने (सुनने) पर भी समान फल ही प्राप्त होता है। यहां दुर्गा कवच संस्कृत में दिया गया है।

दुर्गा कवच परिचय

अठारह प्रमुख पुराणों में से एक मार्कंडेय पुराण के श्री दुर्गा सप्तशती के अंदर देवी कवच (दुर्गा कवच) अङ्गभूत है और यह अद्भुत दुर्गा सप्तशती पाठ का हिस्सा है। देवी कवच को भगवान ब्रह्मा ने ऋषि मार्कंडेय को सुनाया और इसमें ४७ श्लोक शामिल है इसके बाद ९ श्लोकों में फलश्रुति या माहात्म्य है। फलश्रुति का तात्पर्य है, इसको पढ़ने या सुनने से क्या फल प्राप्त होता है यह बताया गया है ।

देवी कवच का महत्व या माहात्म्य

मनुष्य के चारों ओर व्याप्त नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करने के लिये अत्यंत शक्तिशाली मंत्रो का संग्रह देवी कवच के रूप में है। यह किसी भी दुष्ट आत्माओं व दुष्ट ग्रहादि से रक्षा करने में एक कवच के रूप में कार्य करता है और बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव देता है।

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः सुशांतिर्भवतु सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु

आगे सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के अनुगमन कड़ी दिये गये हैं जहां से अनुसरण पूर्वक कोई भी अध्याय पढ़ सकते है :

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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