चन्द्र अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – चन्द्र देव के 108 नाम : Chandra 108 names

चन्द्र अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र - चन्द्र देव के 108 नाम | Chandra 108 names

नवग्रहों में सूर्य के पश्चात् चन्द्रमा को सर्वाधिक प्रभावी कहा गया है। पृथ्वी व पृथ्वीवासियों पर चन्द्रमा का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जाता है। यद्यपि ज्योतिष में चन्द्रमा को रानी भी कहा जाता है किन्तु अन्य शास्त्रों में चन्द्रमा पुरुष वर्ग से देव ही बताये गये हैं देवी नहीं। स्तोत्रों में देवताओं के 108 नाम अर्थात अष्टोत्तरशत नामों का भी विशेष होता है। यहां चन्द्र का अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र (surya 108 naam stotra) दिया गया है।

॥ नक्षत्रनाथस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ॥

बृहद्धर्मपुराण में वर्णित चन्द्र अष्टोत्तरशतनाम विशेष महत्वपूर्ण है। इस स्तोत्र में चन्द्रमा को स्पष्टरूप से ज्योतिष शास्त्र का प्रमाणक भी बताया गया है। चंद्रोदय काल में इसका पाठ करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है और पूर्णिमा को इसका पाठ विशेष रूप से करना चाहिये। ब्राह्मणों के लिये तीनों संध्याओं में पाठ करना विशेष लाभकारी कहा गया है। इसके साथ ही श्राद्ध में पाठ करने से चन्द्रमा अन्नादि को अमृतत्व प्रदान करते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से दुःस्वप्न और दाहज्वर का निवारण भी बताया गया है।

यद्यपि यह वेदसूक्त नहीं है तथापि वेदमंत्रों की तरह ही त्रिवर्णों के लिये पठनीय व स्त्री-शूद्र के लिये श्रवणीय मात्र कहा गया है।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

आगे चन्द्राष्टोत्तरशतनामावली को पृथक-पृथक करके दिया गया है आगे पढ़ें :

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