दुर्गा सप्तशती पाठ 1 अध्याय – श्री दुर्गा सप्तशती

दुर्गा सप्तशती पाठ 1 अध्याय – श्री दुर्गा सप्तशती

दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय में उवाचादि सहित कुल १०४ श्लोक हैं जिसमें १४ उवाच, २४ अर्द्धश्लोक और ६६ श्लोक हैं। प्रथम चरित्र में एक ही अध्याय है जो प्रथम अध्याय है। प्रथम चरित्र के ऋषि ब्रह्मा, देवता काली, छंद गायत्री, शक्ति नंदा, बीज रक्तदन्तिका, तत्व अग्नि और स्वरूप ऋग्वेद है। प्रथम चरित्र में मधुकैटभ वध की कथा है और कथा आरंभ से पूर्व श्रोता और वक्ता के समागम का प्रसङ्ग उल्लिखित किया गया है। यहां प्रथम अध्याय अर्थात प्रथम चरित्र दिया गया है।

मेधा ऋषि का राजा सुरथ और समाधि को भगवती की महिमा बताते हुए मधु-कैटभ वध का प्रसंग सुनाना

॥ विनियोगः ॥

अथ देव्याः कवचम्
दुर्गा सप्तशती पाठ 1 अध्याय

॥ध्यानम्॥

॥ इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे सावर्णिके मन्वन्तरे देवीमाहात्म्ये मधुकैटभवधो नाम प्रथमोऽध्यायः

दुर्गा कवच स्तोत्र
ॐ नमश्चण्डिकायै

श्री दुर्गा सप्तशती प्रथम अध्याय कथा सारांश

  • पहले अध्याय की कथा में ब्रह्मा द्वारा अम्बिका की स्तुति और भगवान विष्णु द्वारा मधु-कैटभ नामक दो दैत्यों के वध का वर्णन है।
  • कथा का आरम्भ सुरथ नाम के राजा से होती है जिनका राज्य नष्ट हो गया तो जंगल मेधा मुनि चले गये।
  • जंगल में राजा सुरथ की समाधि नामक वैश्य से होती है जिसका धन स्वजनों ने ही छीन लिया था।
  • दोनों फिर भी अपने राज्य और स्वजन, संपत्ति के लिये चिंतित रहते थे।
  • दोनों के ऊपर कृपा करते हुये कृपालु मुनि ने भगवती की कथा सुनाने लगे।
  • कथा का आरंभ प्रलयांत में सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी से होती है।
  • शयन करते हुये भगवान विष्णु के कर्णमलों से मधु और कैटभ नामक दो बलवान दैत्य उत्पन्न हुये जो ब्रह्माजी को युद्ध के लिये ललकारने लगे।
  • ब्रह्मा जी ने विष्णु को शयन करते हुये देखा तो अम्बा की स्तुति करने लगे।
  • अम्बा की कृपा से भगवान विष्णु की निद्रा भङ्ग हुई और फिर उन्होंने दोनों दैत्यों से ५००० वर्षों तक युद्ध हुआ।
  • थके हुये भगवान विष्णु ने भी अम्बा का स्मरण किया तो दोनों दैत्य छले गये और भगवान विष्णु को वरदान मांगने के लिये कहा।
  • भगवान विष्णु ने दोनों के वध का वरदान मांगा तब दोनों दैत्यों को चेत आया और उन्होंने सर्वत्र जल-ही-जल देखकर कहा – जहां पर जल नहीं हो वहां मेरा वध करो।
  • फिर भगवान विष्णु ने अपनी विशाल जंघाओं पर दोनों को रखकर उसका वध किया।

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः सुशांतिर्भवतु सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु

आगे सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के अनुगमन कड़ी दिये गये हैं जहां से अनुसरण पूर्वक कोई भी अध्याय पढ़ सकते है :

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2 thoughts on “दुर्गा सप्तशती पाठ 1 अध्याय – श्री दुर्गा सप्तशती

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