तुलसी स्तोत्र अर्थ सहित | मंगलाष्टक | tulsi stotram

तुलसी स्तोत्र अर्थ सहित | मंगलाष्टक 8 | tulsi stotram

तुलसी स्तोत्र अर्थ सहित | तुलसी माहात्म्य – tulsi stotram : यहां भगवती तुलसी की प्रसन्नता प्रदान करने वाला स्तोत्र दिया गया है एवं तुलसी स्तोत्र का अर्थ भी दिया गया है। साथ ही तुलसी का माहात्म्य भी दिया गया है। एवं तुलसी विवाह में मंगलाष्टक पाठ का विधान होने से मंगलाष्टक भी दिया गया है।

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नमक चमक रुद्राभिषेक – आगमोक्त

नमक चमक रुद्राभिषेक – आगमोक्त (अनुपनीत-प्रयोग) namak chamak mantra

नमक चमक रुद्राभिषेक – आगमोक्त (अनुपनीत-प्रयोग) namak chamak mantra : अनुपनीतों के लिये आगमोक्त “नमक चमक रुद्राभिषेक” की विधि है। इस आलेख में आगमोक्त नमक चमक स्तोत्र दिया गया है जो विशेष लाभकारी है।

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केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) - Ketu Ashtottara Shatanamavali

केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) – Ketu Ashtottara Shatanamavali

केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) – Ketu Ashtottara Shatanamavali : राहु की तरह ही केतु भी छाया ग्रह ही है, अर्थात सूर्य और चंद्र पथ का दूसरा संक्रमण बिंदु है और इसकी भी पिण्डात्मक उपस्थिति नहीं है। जिस दैत्य का सिर कटा हुआ धर राहु है वही सिर केतु है। अष्टोत्तरशतनाम का एक विशेष लाभ ज्योतिषियों के लिये भी होता है कि इसके द्वारा फलादेश संबंधी ज्ञान भी मिलता है।

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राहु के 108 नाम (राहु अष्टोत्तर शतनामावली) - Rahu Ashtottara Shatanamavali

राहु के 108 नाम (राहु अष्टोत्तर शतनामावली) – Rahu Ashtottara Shatanamavali

राहु अष्टोत्तर शतनामावली – Rahu Ashtottara Shatanamavali : राहु वास्तव में सूर्य और चंद्र पथ का एक संक्रमण स्थल है जो सदा वक्रमार्ग पर बढ़ता रहता है, इसलिये इसे छाया ग्रह भी कहा जाता है। राहु को अशुभ और पाप ग्रह कहा जाता है। चंद्र या गुरु से साथ राहु की युति हो तो विशेष अशुभफल प्रदायक योग का निर्माण करता है।

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शनि अष्टोत्तर शतनामावली - Shani 108 names

शनि अष्टोत्तर शतनामावली – Shani 108 names

शनि अष्टोत्तर शतनामावली – Shani 108 names : शनि स्वभावतः एक क्रूर व अशुभ ग्रह बताया गया है किन्तु जिस प्रकार गुरु शुभ व सौम्य ग्रह होने पर भी दृष्टि व युति में शुभद होते हैं, जिस भाव में उपस्थिति हो उस भाव के फल का ह्रास ही करते हैं उसी प्रकार शनि की दृष्टि में ही अशुभवत्व होता है, उपस्थिति में भाव के लिये शुभद ही होता है।

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शुक्र अष्टोत्तर शतनामावली (शुक्र ग्रह के 108 नाम) - Shukra ashtottara shatanamavali

शुक्र अष्टोत्तर शतनामावली (शुक्र ग्रह के 108 नाम) – Shukra ashtottara shatanamavali

शुक्र अष्टोत्तर शतनामावली (शुक्र ग्रह के 108 नाम) – Shukra ashtottara shatanamavali : शुक्र ग्रह के 108 नाम वाले स्तोत्र को शुक्र अष्टोत्तरशत नामावली कहा जाता है। स्तोत्रों में देवताओं के 108 नाम अर्थात अष्टोत्तरशत नामों का भी विशेष होता है।

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बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली - Guru ashtottara shatanamavali

बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली – Guru ashtottara shatanamavali guru ke 108 Naam

बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली – Guru ashtottara shatanamavali : गुरु स्वाभाविक रूप से शुभ और सौम्य ग्रह हैं, गुरु और बृहस्पति दो मुख्य नामों से प्रसिद्ध हैं। गुरु की शुभता दृष्टि-युति में बताई गयी है, किन्तु स्थिति में नहीं। अर्थात जिन-जिन ग्रहों-भावों को देखें तत्तत संबंधी फलों में शुभता की वृद्धि व अशुभता का निवारण करते हैं, किन्तु जिस भाव में उपस्थित हों उस भाव संबंधी फलों की हानि करते हैं।

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बुध अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र - Budh ashtottara shatanamavali

बुध अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | बुध ग्रह के 108 नाम – Budh ashtottara shatanamavali

बुध अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – Budh ashtottara shatanamavali : बुध कि एक विशेषता है कि संग के रंग में रंग जाता है अर्थात यदि किसी प्रकार के संसर्ग से रहित हो तो सौम्य, यदि शुभग्रह का संसर्ग हो तो शुभ और यदि अशुभ ग्रह का संसर्ग हो तो अशुभ भी हो जाता है। बुध ग्रह के 108 नाम वाले स्तोत्र को बुध अष्टोत्तरशत नामावली कहा जाता है।

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मंगल अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र - Mangal 108 names

मंगल अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – Mangal 108 names

मंगल अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – Mangal 108 names : मंगल शब्द का अर्थ तो शुभ होता है किन्तु ज्योतिष में जिस ग्रह का नाम मंगल है उसे अशुभ अर्थात पाप या क्रूर ग्रह कहा गया है। मंगल से संबंधित एक और विशेष दोष है जिसका विवाह और दाम्पत्य जीवन पर प्रभाव होता है उसका नाम है मंगली दोष। स्वभावतः मंगल क्रूर ग्रह ही कहा गया है किन्तु कुंडली में परिस्थितिवश शुभ भी हो सकता है।

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चन्द्र अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र - चन्द्र देव के 108 नाम | Chandra 108 names

चन्द्र अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – चन्द्र देव के 108 नाम : Chandra 108 names

चन्द्र अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – चन्द्र देव के 108 नाम | Chandra 108 names : पृथ्वी व पृथ्वीवासियों पर चन्द्रमा का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जाता है। यद्यपि ज्योतिष में चन्द्रमा को रानी भी कहा जाता है किन्तु अन्य शास्त्रों में चन्द्रमा पुरुष वर्ग से देव ही बताये गये हैं देवी नहीं। स्तोत्रों में देवताओं के 108 नाम अर्थात अष्टोत्तरशत नामों का भी विशेष होता है।

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