पूजा क्रमावली

कर्मकांड की क्रमावली अर्थात पूजन क्रम, वेदी पूजन क्रम 1.2.3.

पूजा-अनुष्ठान-यज्ञादि संबंधी कर्म में अनेकानेक कर्म होते हैं और उनकी विशेष क्रियाविधि ही नहीं है, विशेष क्रम भी है और क्रम पूर्वक ही करना चाहिये। विस्तृत पूजा-अनुष्ठान-यज्ञ से लेकर सामान्य पूजा संबंधी, वेदी पूजन, क्रमों का इस आलेख में व्यापक वर्णन किया गया है जो कर्मकांड सीखने वालों के लिये बहुत ही उपयोगी है।

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क्षेत्रपाल मंडल पूजा

क्षेत्रपाल मंडल पूजा – क्षेत्रपाल स्तुति मंत्र

क्षेत्रपाल मंडल वायव्यकोण में स्थापित किया जाता है जिसमें अजर आदि 49 देवताओं की पूजा की जाती है। क्षेत्रपाल मंडल दिये गये चित्रानुसार बनाकर नीचे दिये गये मंत्रों से सबका पृथक-पृथक आवाहन करते पूजन करे।

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चतुःषष्टी योगिनी पूजा विधि

६४ योगिनी पूजा विधि – 64 Yogini

योगिनी पूजा विधि : योगिनी मंडल में आवाहन पूजन वामावर्त्त अर्थात अप्रदक्षिण/अपसव्य क्रम से किया जाता है। चतुःषष्टि योगिनी मंडल में आठ पंक्तियां होती है अतः आठ आवरणों में मंडल पूजा की जाती है। इस आलेख में योगिनी मंडल का आवाहन मंत्र और पूजा विधि दी गयी है।

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नवग्रह मंडल पूजा विधि

नवग्रह मंडल पूजा

सभी प्रकार के पूजा-हवनों में नवग्रह मंडल पूजा विशेष रूप से की जाती है। जब सामान्य पूजा कर रहे होते हैं अर्थात वेदियां नहीं बनाते हैं तब भी नाममंत्र से ही सही नवग्रह और दश दिक्पाल की पूजा करते ही हैं। लेकिन जब नवग्रह मंडल बनाकर पूजा की जाती है तो नवग्रह मंडल पर अधिदेवता-प्रत्यधिदेवता-पंचलोकपालादि का भी आवाहन-पूजन किया जाता है।

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चतुर्लिंगतो भद्र मंडल पूजा विधि

चतुर्लिंगतो भद्र पूजन : प्रधान वेदी 2

चतुर्लिंगतो भद्र पूजन : भगवान शिव की पूजा लिंग में की जाती है इसी प्रकार जब भगवान शिव की पूजा हेतु वेदी निर्माण का प्रसंग आता है तो उसमें भी लिंगतोभद्र बनाने का विधान है। अन्य सभी वेदियां एक से दो प्रकार की ही होती है, जिनमें से एक प्रकार ही प्रचलन में होता है। किन्तु बात जब लिंगतोभद्र की आती है तो इसके अनेक प्रकार होते हैं : एक लिंगतोभद्र, चतुर्लिंगतो भद्र, अष्टर्लिंगतो भद्र, द्वादशर्लिंगतो भद्र।

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सर्वतोभद्र मंडल वेदी - पूजन

सर्वतोभद्र मंडल वेदी – पूजन

सर्वतोभद्र मंडल सबसे मुख्य मंडल है जो सभी देवताओं की पूजा के लिये भी बनाया जा सकता है तथापि कुछ अन्य देवता विशेष वेदियां भी होती हैं। सर्वतोभद्र मंडल मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा में प्रयुक्त होता है। प्रधानवेदी प्रधानदेवता के अनुसार बनायी जाती है और सर्वतोभद्र विष्णु पूजा के लिये प्रधान वेदी होती है। इस पर ब्रह्मा सहित कुल 57 देवताओं का आवाहन-पूजन किया जाता है।

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वास्तु मंडल पूजा विधि

वास्तु मंडल – पूजा

वास्तु मंडल के दो प्रकार देखे जाते हैं – यज्ञ-मंदिर आदि के लिये अलग प्रकार होता है एवं गृह में पूजन कर रहे हों तो उसका दूसरा प्रकार होता है। घर में पूजा करने वाले वास्तु मंडल में ८१ कोष्ठ होते हैं जिसपर ४५ देवताओं का आवाहन पूजन किया जाता है।

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सप्त घृत मातृका पूजन विधि

सप्त घृत मातृका पूजन विधि – सप्तमातृका | 7 mothers shloka

षोडश मातृका पूजन के उपरांत सप्तघृत मातृका (सप्तमातृका) की पूजा और वसोर्द्धारा की जाती है। यद्यपि मिथिला में भित्ति, फलक आदि पर गोमय रक्षिका निर्मित करके ही षोडश मातृका पूजन करके श्री पूजन की पद्धति/परम्परा है। किन्तु कर्मकांड की विभिन्न पुस्तकों/पद्धतियों में सप्तघृत मातृका पूजा विधि और वसोर्द्धारा प्राप्त होती है। इस आलेख में सप्तघृत मातृका चक्र और पूजा विधि दी गयी है।

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षोडश मातृका फोटो

षोडश मातृका पूजा विधि और मंत्र | 16 matrika

मातृका पूजन वामावर्त क्रम अर्थात अप्रदक्षिण या अपसव्य क्रम से किया जाता है। षोडश मातृका वेदी के लिये पीढ़े में वस्त्र बांधकर उसपर 16 गेहूं पुञ्ज या रंगे चावलों का पुञ्ज बनाकर गणपति के लिये अतिरिक्त पुंज भी बनाये और चित्रानुसार क्रम से पूजन किया जाता है। इस आलेख में षोडश मातृकाओं के वैदिक मंत्र और पूजा विधि दी गयी है।

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नान्दीमुख श्राद्ध विधि pdf सहित

नान्दीमुख श्राद्ध विधि pdf

यदि नान्दीमुख श्राद्ध करनी हो तो मातृका पूजा व वसोर्द्धारा करे और यदि नान्दीमुख श्राद्ध नहीं हो रहा है तो मातृकापूजा न ही करे। वृद्धि श्राद्ध अथवा आभ्युदयिक श्राद्ध भी नान्दी श्राद्ध को ही कहा जाता है। नान्दीमुख श्राद्ध विधि pdf

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