मां काली, काली स्तोत्र संस्कृत में - kali stotra, काली पूजा पद्धति: जानिये काली पूजा (Kali Puja) की संपूर्ण विधि

काली पूजा पद्धति: जानिये काली पूजा (Kali Puja) की संपूर्ण विधि

काली पूजा पद्धति: जानिये काली पूजा (Kali Puja) की संपूर्ण विधि : माता काली की तांत्रिक पूजा भिन्न-भिन्न रूपों के अनुसार भी भिन्न-भिन्न प्रकार और मंत्रों से होती है जो गुरु के माध्यम से प्राप्त होता है। पुनः एक विशेष पूजा उन लोगों के लिये होती है जो किसी विशेष रूप में पूजा न करके अर्थात दीक्षित नहीं होते किन्तु सामान्य रूप से काली पूजा करते हैं, कदाचित कार्तिक कृष्ण अमावास्या व अन्य विशेष अवसरों पर भी उन लोगों के लिये यहां दी गयी काली पूजा विधि विशेष महत्वपूर्ण है।

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सूर्य अर्घ्य मंत्र संस्कृत में - सूर्य को 70 अर्घ्य देने का मंत्र

सूर्य देव को अर्घ्य देने के नियम और विधि : 70 सूर्य अर्घ्य मंत्र संस्कृत में

सूर्य देव को अर्घ्य देने के नियम और विधि : 70 सूर्य अर्घ्य मंत्र संस्कृत में सूर्य अर्घ्य एक सरल लेकिन प्रभावशाली अनुष्ठान है। इसे नियमित रूप से करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। सूर्य अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। सूर्य अर्घ्य देना न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह एक वैज्ञानिक तथ्य भी है। सूर्य की किरणों में विटामिन डी होता है जो हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। इसलिए, सूर्य अर्घ्य देना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है।

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जानिये भगवान सूर्य पूजा की विधि और मंत्र - surya puja vidhi

जानिये भगवान सूर्य पूजा की विधि और मंत्र – surya puja vidhi

जानिये भगवान सूर्य पूजा की विधि और मंत्र – surya puja vidhi : प्रायः देखा जाता है कि रविवार अथवा अन्य सूर्य व्रत तो लोग करते हैं किन्तु पूजा नहीं करते। जब कि किसी भी व्रत में पूजा की विशेष महत्ता होती है और हवन भले न करे किन्तु पूजा अनिवार्य रूप से कर्तव्य होता है। यहां दी गयी पूजा विधि सूर्य व्रत करने वालों के लिये लाभकारी सिद्ध होगा।

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धन्वंतरि पूजन विधि - Dhanvantari Puja Vidhi

धन्वंतरि पूजन विधि – Dhanvantari Puja Vidhi (13)

धन्वंतरि पूजन विधि – Dhanvantari Puja Vidhi : सबसे बड़ा धन कहें अथवा पहला सुख कहें आरोग्य को ही कहा गया है। यदि उत्तम स्वास्थ्य हो तभी कोई कर्म किया जा सकता है चाहे वह उद्यम हो अथवा धर्म। इसलिये आरोग्य के देवता धन्वन्तरि की पूजा विशेष श्रद्धा-भक्ति से करनी चाहिये। धन्वंतरि भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से ही एक अवतार हैं।

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मूल शांति पूजन विधि - mool shanti puja vidhi

मूल शांति पूजन विधि – mool shanti puja vidhi

मूल शांति पूजन विधि – mool shanti puja vidhi : मूल सत्ताईस नक्षत्रों में से एक नक्षत्र का नाम है और सम्पूर्ण मूल को ही दोषद कहा गया है। गण्डान्त नक्षत्रों में से सर्वाधिक दोषद होने के कारण मूल में जन्म होने पर दोष की विधि पूर्वक शांति की जाती है जिसे मूल शांति कहा जाता है। किन्तु मूल शांति का तात्पर्य मात्र मूल नक्षत्र की शांति नहीं होती है, क्योंकि अन्य दोषद नक्षत्रों में जन्म होने पर भी एक ही विधि से शांति होती है मात्र नक्षत्र जप-पूजा-हवन-मंत्र में परिवर्तन होता है।

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एकादशी उद्यापन की दान विधि और मंत्र

एकादशी उद्यापन की दान विधि – Dan ki vidhi aur mantra

एकादशी उद्यापन की दान विधि – एकादशी व्रत की भी पूर्णता हेतु उद्यापन करने की एक विस्तृत विधि है और पूर्व आलेख में एकादशी उद्यापन की शास्त्र-सम्मत विधि दी गयी है एवं उसे सरल रूप से समझाया भी गया है। उद्यापन में पूजा-कथा-हवन आदि के साथ मुख्य विषय दान होता है। इस आलेख में एकादशी उद्यापन में दान करने की विधि और मंत्र दिया गया है।

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एकादशी उद्यापन विधि - एकादशी व्रत उद्यापन करने की संपूर्ण विधि और मंत्र

एकादशी उद्यापन विधि – Ekadashi Udyapan Vidhi

यद्यपि पद्धतियों में नवग्रह-दिक्पाल आदि का पूजन करके प्रधानपूजन देखने को मिलता है तथापि कर्मकांड अनुक्रमणिका के अनुसार प्रथम प्रधानवेदी पूजन व प्रधान पूजा करने के एकादशी उद्यापन विधि – Ekadashi Udyapan Vidhi : पश्चात् नवग्रह मंडल पूजन की सिद्धि होती है। यदि क्रम का विशेष निर्वहन करना हो तो प्रथम अग्निस्थापन करके तब प्रधानपूजन व नवग्रह मंडल पूजन करे।

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केतु शांति विधि

केतु शांति के उपाय | केतु शांति पूजा : ketu shanti ke upay 11th

केतु शांति के उपाय | केतु शांति पूजा : ketu shanti ke upay : केतु को क्रूर, पाप ग्रह कहा जाता है और जिससे संपर्क या दृष्टि आदि युति करे उसे भी अशुभ कर देता है। केतु को छायाग्रह भी कहा जाता है क्योंकि इसका कोई पिंड नहीं है यह वास्तव में एक बिंदु है, जिस प्रकार सूर्य और चंद्र मार्ग का एक संक्रमण बिंदु राहु है उसी प्रकार दूसरा संक्रमण बिंदु केतु है। इस आलेख में केतु शांति विधि दी गयी है।

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राहु शांति विधि

राहु शांति के उपाय | राहु शांति पूजा : Rahu shanti ke upay 10th

राहु शांति के उपाय | राहु शांति पूजा : Rahu shanti ke upay : राहु को क्रूर, पाप ग्रह कहा जाता है और जिससे संपर्क या दृष्टि आदि युति करे उसे भी अशुभ कर देता है। राहु को छायाग्रह भी कहा जाता है क्योंकि इसका कोई पिंड नहीं है यह वास्तव में एक बिंदु है जो सूर्य और चंद्र मार्ग का संक्रमण स्थल है।

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शनि शांति के उपाय | शनि शांति मंत्र : Shani shanti ke upay

शनि शांति के उपाय | शनि शांति मंत्र : Shani shanti ke upay – 9th

शनि शांति के उपाय | शनि शांति मंत्र : Shani shanti ke upay : शनि को क्रूर, पाप ग्रह कहा जाता है और जिससे संपर्क या दृष्टि आदि युति करे उसे भी अशुभ कर देता है। तथापि शनि की जिस भाव में स्थिति होती है उस भाव संबंधी फल के लिये शुभद माना जाता है। शनि की दृष्टि में ही वास्तविक अशुभ फल का प्रभाव बताया गया है।

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