संपूर्ण कर्मकांड विधि

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लांगूलास्त्र शत्रुंजय स्तोत्र - langulastra shatrunjay stotra

लांगूलास्त्र शत्रुंजय स्तोत्र – langulastra shatrunjay stotra

लांगूलास्त्र शत्रुंजय स्तोत्र – langulastra shatrunjay stotra : हनुमान जी का एक महत्वपूर्ण प्रयोग है “लांगूलास्त्र शत्रुंजय प्रयोग” जिसके लिये लांगूलास्त्र शत्रुंजय स्तोत्र (langulastra shatrunjay stotra) मिलता है। यह स्तोत्र मुख्य रूप से शत्रुबाधा निवारण हेतु बताया गया है और इसके प्रयोग की विधि में यह भी कहा गया है कि अश्वत्थवृक्षतल में करे अर्थात पीपल वृक्ष के मूल में करे।

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आञ्जनेय सहस्रनाम स्तोत्र - anjaneya sahasranamam

आञ्जनेय सहस्रनाम स्तोत्र – anjaneya sahasranamam

आञ्जनेय सहस्रनाम स्तोत्र – anjaneya sahasranamam : हनुमान जी के भी अनेकों सहस्रनाम हैं जिनमें से एक आंजनेय सहस्रनाम से मिलता है। यहां आञ्जनेय सहस्रनाम स्तोत्र (anjaneya sahasranamam) संस्कृत में दिया गया है।

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आञ्जनेय अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र - anjaneya ashtottara shatanama stotram

आञ्जनेय अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – anjaneya ashtottara shatanama stotram

आञ्जनेय अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – anjaneya ashtottara shatanama stotram : कालिका रहस्य में हनुमान जी का जो अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र मिलता है उसका नाम आञ्जनेय अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (anjaneya ashtottara shatanama stotram) है। यहां संस्कृत में आञ्जनेय अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र और पुनः आञ्जनेय अष्टोत्तर शतनामावली दिया गया है।

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आंजनेय स्तोत्र – anjaneya stotra

आंजनेय स्तोत्र – anjaneya stotra

आंजनेय स्तोत्र – anjaneya stotra : सर्वप्रथम आंजनेय द्वादश नाम स्तोत्रम्, तदनंदर नीलकृत आञ्जनेय स्तोत्रम्, पुनः एक अन्य आंजनेय स्तोत्र और अंत में श्री आञ्जनेयमङ्गलाष्टकम् दिया गया है। सभी स्तोत्र संस्कृत में हैं।

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जानकी सहस्रनाम स्तोत्र - Janaki Sahasra Nama Stotram

जानकी सहस्रनाम स्तोत्र – Janaki Sahasra Nama Stotram

जानकी सहस्रनाम स्तोत्र – Janaki Sahasra Nama Stotram : योगेश्वर कविकृत श्रीजानकी चरितामृत में जानकी सहस्रनाम स्तोत्र (Janaki Sahasra Nama Stotram) मिलता है। देवी-देवताओं के सहस्रनाम स्तोत्र का आध्यात्मिक महत्व तो होता ही है अर्थात पूजा-पाठ-हवन आदि में आवश्यकता होती है, इसके साथ ही व्यावहारिक महत्व भी अत्यधिक होता है।

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श्रीजानकी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र - janaki ashtottara shatanama stotram

श्रीजानकी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र – janaki ashtottara shatanama stotram

श्रीजानकी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र – janaki ashtottara shatanama stotram : जब आप माता जानकी की उपासना करेंगे तो आपको जानकी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र व अष्टोत्तर शतनामावली की भी आवश्यकता होगी। स्तोत्र करने के अतिरिक्त पूजन-हवन में अष्टोत्तर शतनामावली की आवश्यकता होती ही रहती है।

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श्री जानकी स्तुति - janaki stuti

श्री जानकी स्तुति – janaki stuti

श्री जानकी स्तुति – janaki stuti : स्कन्द पुराणोक्त जानकी स्तुति महावीर हनुमान द्वारा किया गया है जिसमें श्लोकों की संख्या ८ है। द्वितीय जानकी स्तुति भुशुण्डिरामयणोक्त है जो धर्मराज कृत और यदि इसमें श्लोकों की संख्या का विचार करें तो २२ हैं किन्तु इसमें गद्य भी सम्मिलित है।

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जानकी स्तोत्र - janaki stotra

जानकी स्तोत्र – janaki stotra

जानकी स्तोत्र – janaki stotra : माता सीता के जनक की पुत्री होने के कारण वैदेही, जनकनन्दिनी, जनकात्मजा आदि अनेकों नाम हैं और इनमें से एक नाम जानकी भी है। माता सीता के अनेकों स्तोत्र जानकी नाम से भी हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं जानकी स्तोत्र, जानकी द्वादशनाम स्तोत्र, जानकी जीवनाष्टक आदि।

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श्री जानकी स्तवराज - Shri Janaki Stavaraja

श्री जानकी स्तवराज – Shri Janaki Stavaraja

श्री जानकी स्तवराज – Shri Janaki Stavaraja : अगस्त्यसंहिता में माता सीता का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जिसका नाम है श्री जानकी स्तवराज (Shri Janaki Stavaraja)। यह स्तुति भगवान शिव के द्वारा की गयी है जो श्रुतियों के प्रश्न करने पर भगवान श्री संकर्षण जी द्वारा वर्णन किया गया है।

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श्री सीता स्तुति - shri sita stuti

श्री सीता स्तुति – shri sita stuti

श्री सीता स्तुति – shri sita stuti : भुशुण्डि रामायण में माता सीता की अनेकानेक स्तुतियां हैं जिसमें से अग्निकृत, इन्द्रकृत, कुबेरकृत, शिवकृत आदि मुख्य स्तुति है। माता सीता की आराधना में इन स्तुतियों का व्यापक लाभ मिलता है। यहां ये सभी श्री सीता स्तुति (shri sita stuti) संस्कृत में दिये गये हैं।

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