सत्यनारायण व्रत कथा स्कन्द पुराण के रेवाखण्ड के सात अध्यायों का संकलन है। यहां हम सत्यनारायण भगवान की उसी कथा का संस्कृत में लिखित प्रारूप पाएंगे। भगवान सत्यनारायण की पूजा करने के बाद पंडित जी द्वारा कथा की जाती है जो सभी भक्त सुनते हैं। आजकल एक परंपरा चल पड़ी है सत्यनारायण व्रत कथा हिन्दी में कहने सुनने की। हिन्दी में या किसी और भाषा में भी सत्यनारायण व्रत कथा करने का कोई निषेध नहीं है, यह भाव समझनें के उद्देश्य से उचित ही है किन्तु संस्कृत में कथा अनिवार्य है जो पूजा करने वाले को सुननी भी चाहिये।
श्री सत्यनारायण व्रत कथा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :
कलयुग में सत्यनारायण व्रत का विशेष महत्व बताया गया है क्योंकि कलयुगी प्राणी विशेष नियमों-विधानों का पालन नहीं कर पाता है, विशेष साधना आदि करने में अक्षम होता है। सत्यनारायण भगवान की कथा में सत्यनारायण पूजा का महत्व बताया गया है। किन्तु सत्यनारायण पूजा, व्रत, कथा के लिये भी कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। बहुधा देखा जाता है कि मनमाने तरीके से पूजा-कथा की जाती है। अस्तु सत्यनारायण कथा के संबंध में महत्वपूर्ण नियम नीचे दिये गये हैं :

- सत्यनारायण व्रत कथा संस्कृत में अवश्य सुनें।
- कथा सुनने का पुण्य संस्कृत (देववाणी) में सुनने से ही मिलता है।
- हिन्दी या अन्य भाषाओं में समझने के लिये कर सकते हैं।
- कथा का पुण्य पाने के लिये ब्राह्मण के द्वारा ही सुने।
- कथा सुनते समय कथावाचक से नीचे आसन रखें।
- हाथों में फूल रखकर कथा सुने और कथा के बाद भगवान को चढ़ा दें।
- कथा के समय आपस में बातचीत न करें।
- यदि संस्कृत समझ में न भी आये तो भी ध्यान से संस्कृत पाठ को अवश्य सुनें।
- पुस्तक की पूजा करके पुस्तक से ही कथा करें मात्र विशेष परिस्थितियों में ही मोबाइल आदि देखकर करें।
श्री सत्यनारायण व्रत कथा संस्कृत में – संपूर्ण कथा सातों अध्याय
सत्यनारायण भगवान की जो कथा है वह विभिन्न पुस्तकों में लिखित में भी प्रकार से मिलती है एक पांच अध्याय की और दूसरी सात अध्याय की। यहां हम सात अध्याय वाली सत्यनारायण की असली कथा दे रहे हैं जिसे अलग-अलग पृष्ठों में विभाजित भी किया गया है। जिस अध्याय को पढ़ना हो नीचे दिये गये उस अध्याय पर क्लिक करें :
- लीलावती के पति का क्या नाम था – साधु।
- लीलावती के पुत्री का क्या नाम था – कलावती।