नरक निवारण चतुर्दशी (narak nivaran chaturdashi) कब है – पूजा विधि

नरक निवारण चतुर्दशी (narak nivaran chaturdashi) कब है - पूजा विधि

माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक निवारण चतुर्दशी (narak nivaran chaturdashi) कहा जाता है। इस चतुर्दशी का व्रत-पूजा करने से नरक का निवारण होता है, इसी कारण इसे नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है। सहस्र अश्वमेध यज्ञ और शत वाजपेय यज्ञ करने में जो फल प्राप्त होता है वह फल एक नरक निवारण चतुर्दशी व्रत करने से ही प्राप्त होता है, किन्तु व्रत सविधि करे, व्रत के नियमों का पालन करे तो। इस आलेख में नरक निवारण चतुर्दशी 2025 कब है इसकी जानकारी देते हुये नरक निवारण चतुर्दशी व्रत की पूजा विधि भी दी गयी है।

नरक निवारण चतुर्दशी (narak nivaran chaturdashi) कब है – पूजा विधि

नरक निवारण चतुर्दशी का माहात्म्य : लिङ्गपुराण में नरक निवारण चतुर्दशी की कथा है जिसमें इसकी महिमा बताते हुये कहा गया है :

एक हजार अश्वमेध यज्ञ और एक सौ वाजपेय यज्ञ करने से जो फल प्राप्त होता है वो फल नरक निवारण चतुर्दशी व्रत करने से प्राप्त होता है, इसमें विचार नहीं करना चाहिये अर्थात शंका नहीं करनी चाहिये।

नरक निवारण चतुर्दशी कब है 2025

  • नरक निवारण चतुर्दशी 2025 में 28 जनवरी मंगलवार को है।
  • 27/01/2025 – सोमवार को रात्रि 8:34 बजे (8:34 pm)चतुर्दशी तिथि का आरंभ होता है।
  • 28/01/2025 मंगलवार को रात्रि 7:35 बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त।
  • प्रदोषव्यापिनी चतुर्दशी को ग्राह्य माना गया है और नरक निवारण चतुर्दशी के लिये भी यही नियम है।

व्रती प्रदोषकाल में मृण्मयी भगवान शिव प्रतिमा बनाकर या शिवालय जाकर पवित्रीकरणादि कर ले तदनन्तर संकल्प करे; त्रिकुशा, तिल, जल, पुष्प, चंदन, द्रव्यादि लेकर संकल्प करे :

संकल्प

फिर भगवान गौरीशंकर की प्राण प्रतिष्ठा करे : ॐ मनो जूतिर्ज्जुषतामाज्ज्यस्य बृहस्पतिर्य्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं य्यज्ञᳪ समिमं दधातु। विश्वे देवा स ऽइह मादयन्तामों३ प्रतिष्ठ ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगोरीशङ्करौ इहागच्छतम् इहतिष्ठतम् ॥ (शिवालय में या पूर्वप्रतिष्ठित लिङ्ग में केवल ध्यान करे)

पुष्प अर्पित करे  – ॐ हराय नमः ॥ ॐ महेश्वराय नमः ॥ ॐ शम्भवे नमः ॥ ॐ शूलपाणये नमः ॥ ॐ पिनाकधृषे नमः ॥ ॐ शिवाय नमः ॥ ॐ पशुपतये नमः ॥ ॐ महादेवाय नमः ॥

इन नामों से पुष्प अर्पित करके ध्यान करे :

नरक निवारण चतुर्दशी - पूजा विधि
नरक निवारण चतुर्दशी – पूजा विधि

ध्यान

  • आसन – ॐ देवदेव नमस्तुभ्यं सहस्रशिरसे नमः । नमस्ते कृत्तिवासाय स्वासनं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदमासनं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • पाद्य – ॐ शम्भोगङ्गादितीर्थेभ्यो मया प्रार्थनयाहृतम् । तोयमेतत् सुखस्पर्शं पाद्यार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं पाद्यं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • अर्घ्य – ॐ वरेण्य यज्ञपुरुष प्रजापालनतत्पर । नमो माहात्म्यदेवाय गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते ॥ इदमर्घ्यं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • आचमन – ॐ पाटलोशीरकर्पूरसुरभिः स्वादु शीतलम् । तोयमाचमनीयार्थं शङ्कर प्रतिगृह्यताम् ॥ इदमाचमनीयं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • स्नान – ॐ मन्दाकिन्याः समानीतं हेमाम्भोरुहवासितम् । स्नानाय ते मया भक्त्या नीरं स्वीक्रियतां प्रभो ॥ इदं स्नानीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • पञ्चामृत – ॐ पयो दधि घृतं चैव मधु शर्करयान्वितम् । पञ्चामृतेन स्नपनं प्रीत्यर्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं पञ्चामृतस्नानीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • शुद्धोदक – ॐ किरणा धूतपापा च पुण्यतोया सरस्वती । मणिकर्णिजलं शुद्धं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं शुद्धोदकं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • आचमन – इदमाचनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • वस्त्र – ॐ सूक्ष्मतन्तुसमाकीर्णं नानावर्णविचित्रितम् । वस्त्रं गृहाण मे देव प्रीत्यर्थं तव निर्मितम् ॥ इदं वस्त्रं बृहस्पतिदैवतम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • यज्ञोपवीत – ॐ महादेव नमस्तेऽस्तु त्राहि मां भवसागरात् । ब्रह्मसूत्रं सोत्तरीयं गृहाण परमेश्वर ॥ इमे यज्ञोपवीते बृहस्पतिदैवते ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • आचमन – इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • चन्दन – ॐ मलयाचलसम्भूतं घनसारमनोहरम् । हृदयानन्दनं चारु चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं श्रीखण्डचन्दनम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • अक्षत – ॐ अखण्डानक्षतान् शुक्लान् शोभनान् शालितण्डुलान् । त्राहि मां सर्वपापेभ्यो गृहाण वृषभध्वज ॥इदमक्षतम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • पुष्प – ॐ माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो । मयाहृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ एतानि पुष्धाणि ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • माला – इदं पुष्पमाल्यम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • बिल्ववत्र – ॐ त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रस्य सदा प्रियम् । बिल्वपत्रं प्रयच्छामि त्र्यम्बकाय नमोऽस्तु ते ॥ एतानि बिल्वपत्राणि ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥

अङ्गपूजा

अंगपूजा करने के उपरांत धूप-दीप-नैवेद्य आदि अर्पित करे :

  • धूप – ॐ वनस्पतिरसो दिव्यो गन्धाढ्यः सुमनोहरः । आत्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥ एष धूपः ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • नैवेद्य – ॐ अन्नं चतुर्विधं स्वादु रसैः ष‌ड्भिः समन्वितम् । भक्ष्यभोज्यसमायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं नैवेद्यम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • आचमन – पुनराचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • करोद्वर्तन – ॐ मलयाचल सम्भूत कर्पूरेण समन्वितम् । करोद्वर्तनकं चारु गृह्यतां जगतः पते ॥ इदं करोद्वर्तनार्थे गन्धं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • ताम्बूल – ॐ पूगीफलसमायुक्तं नागवल्लीदलैर्युतम् । कर्पूरादिसमायुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं ताम्बूलं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • दक्षिणाद्रव्य – ॐ हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः । अनन्तपुण्य फलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे ॥ इदं दक्षिणार्थं द्रव्यम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • आरति – ॐ चन्द्रादित्यो च धरणी विद्युदग्निस्तथैव च । त्वमेव सर्वज्योतीष्यारार्तिक्यं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदमारार्तिकं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
  • प्रदक्षिणा – ॐ यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यासमानि च । तानि तानि प्रणश्यन्तु प्रदक्षिण पदे पदे ॥ प्रदक्षिणां ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥

नमस्कार

फिर कथा सुने। कथा श्रवण करके विसर्जन और दक्षिणा करे। यदि शिवालय में या पूर्वप्रतिष्ठित शिवलिंग में पूजा कर रहे हो तो विसर्जन न करे।

  • विसर्जन – ॐ गौरीशङ्करौ पूजितौ स्थः क्षमेयाथां स्वस्थानं गच्छतं ॥
  • त्रिकुशा, तिल, जल, दक्षिणा लेकर – ॐ अद्य कृतैतन्नरक निवारणचतुर्दशीव्रत पूजनतत्कथा श्रवणकर्म प्रतिष्ठार्थमेतावद्रव्यमूल्यक हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ॥

इस प्रकार से यहां 2025 में होने वाली नरक निवारण चतुर्दशी की जानकारी देते हुये पूजा विधि और मंत्र भी दिया गया है जो श्रद्धालुओं के लिये सहयोगी सिद्ध होता है।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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