नटराज स्तुति भगवान शिव का एक प्रसिद्ध स्तवन है जो भक्तों द्वारा अच्छे स्वर में गया जाता है। यह आधुनिक रचना है एवं नयी विधा युक्त है। यहां नटराज स्तुति दी गई है जो संस्कृत (हिन्दी मिश्रित) में है और हिन्दी में अर्थ के साथ भी अलग से दिया गया है।
नटराज स्तुति संस्कृत में
शत सृष्टि तांडव रचयिता, नटराज राज नमो नमः ।
हे आद्य गुरु शंकर पिता, नटराज राज नमो नमः ॥
गंभीर नाद मृदङ्गना, धबके उरे ब्रह्माडना ।
नित होत नाद प्रचण्डना, नटराज राज नमो नमः॥
शिर ज्ञान गंगा चन्द्रमा, चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां ।
विषनाग माला कंठ मां, नटराज राज नमो नमः ॥
तवशक्ति वामाङ्गे स्थिता, हे चंद्रिका अपराजिता ।
चहुं वेद गाये संहिता, नटराज राज नमोः ॥
- नटराज भगवान शिव का ही एक नाम है और इस नाम से वह सबसे उत्तम नर्तक के रूप में जाने जाते हैं।
- नटराज दो शब्दों के समावेश से बना है – नट अर्थात नर्तक और राज । इस स्वरूप में शिव नृत्य कला के आधार हैं।
- नटराज स्तुति को भजन की तरह सुन्दर तरीके से गाया जा सकता है।
- नटराज स्तुति सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता भगवान शिव को ही बताया गया है।
- नटराज स्तुति पूर्ण रूप से न तो संस्कृत में लिखी गयी है और न ही हिन्दी में। इसमें संस्कृत और हिन्दी दोनों भाषाओं सम्मिश्रण किया गया है जो स्वयं में अद्वितीय है अर्थात इस प्रकार की विधा कभी देखी नहीं गयी।
- भगवान की स्तुति भक्त किसी भी भाषा में कर सकता है, पद्य के साथ गद्य में भी कर सकता है लेकिन स्तोत्र की विधा का पालन करने पर ही स्तोत्र कहा जा सकता है।

नटराज स्तुति अर्थ सहित
शत सृष्टि तांडव रचयिता, नटराज राज नमो नमः।
हे आद्य गुरु शंकर पिता, नटराज राज नमो नमः ॥
हे नटराज आप ही सैकड़ों बार सृष्टियों अर्थात हर बार सृष्टि की रचना भी करते हैं और प्रलयकाल में तांडव नृत्य करते हैं। हे नटराज राज आपको नमन है, नमन है। हे शंकर आप ही आद्यगुरु और परम पिता हैं। हे नटराज राज आपको नमन है, नमन है।
गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्मांडना ।
नित होत नाद प्रचंडना नटराज राज नमो नमः ॥
हे शिव, जब आप मृदङ्ग बजाते हैं तो उसका गंभीर नाद संपूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त हो जाता है। जो नित्य नाद अर्थात ब्रह्मनाद कहलाता है वह भी आप ही हैं; इस संसार में व्याप्त प्रत्येक ध्वनि के श्रोत आप ही हैं। हे नटराज राज आपको नमन है, नमन है।
शिर ज्ञान गंगा चंद्र चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां।
विष नाग माला कंठ मां नटराज राज नमो नमः ॥
हे नटराज आप ज्ञान रूपी चंद्र एवं गंगा को मस्तक पर धारण करने वाले हैं, आपके ललाट में दिव्य ज्योति का स्रोत है। हे नटराज राज आप विषधर नाग को गले में धारण करते हैं। आपको नमन है, नमन है।
तवशक्ति वामे स्थिता हे चन्द्रिका अपराजिता।
चहु वेद गाएं संहिता नटराज राज नमो नमः ॥
हे शिव (माता) शक्ति आपके अर्धांगिनी हैं जो आपके वाम भाग में विराजती हैं, वो चंद्रिका भी है एवं अपराजिता भी। चारों वेद आपकी ही सहिंता (महिमा गाथा) का गान करते हैं। हे नटराज राज आपको नमन है, नमन है।
नटराज स्तुति pdf
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