न्यास – नवार्ण मंत्र जप

न्यास – नवार्ण मंत्र जप

॥ विनियोगः ॥

विनियोग करके ऋष्यादिन्यास करे :

॥ ऋष्यादिन्यासः ॥

॥ करन्यास ॥

करन्यास में सभी उंगलियों और करतल एवं करपृष्ठ का न्यास किया जाता है। अन्य सभी न्यासों में तो दाहिने हाथ की उंगलियों से निर्दिष्ट अङ्ग का स्पर्श करके न्यास किया जाता है किन्तु करन्यास में विधि अलग हो जाती है, जिसका निर्देश दिया गया है :

  • ऐं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ॥ – दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी को मिलायें।
  • ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः ॥ – पुनः दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी को मिलायें।
  • क्लीं मध्यमाभ्यां नमः ॥ – दोनों हाथों के अंगूठे और मध्यमा को मिलायें।
  • चामुण्डायै अनामिकाभ्यां नमः ॥ – दोनों हाथों के अंगूठे और अनामिका को मिलायें।
  • विच्चे कनिष्ठिकाभ्यां नमः ॥ – दोनों हाथों के अंगूठे और कनिष्ठा को मिलायें।
  • ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ॥ – पहले दोनों करतल को मिलाये फिर दोनों करपृष्ठ को मिलाये।

॥ हृदयादिन्यास ॥

हृदयादिन्यास के लिये दाहिने हाथ की पाँचों उंगुलियों से हृदय आदि अंगों का स्पर्श किया जाता है, कुछ लोग करतल से भी करते हैं :

  • ऐं हृदयाय नमः ॥ – दाहिने हाथ के पांचों उंगलियों को मिलाकर हृदय स्पर्श करे।
  • ह्रीं शिरसे स्वाहा ॥ – शिर स्पर्श करे।
  • क्लीं शिखायै वषट् ॥ – शिखा स्पर्श करे।
  • चामुण्डायै कवचाय हुम् ॥ – दोनों हाथों परस्पर दाहिने और बायीं बांहों का स्पर्श करे।
  • विच्चे नेत्रत्रयाय वौषट् ॥ – दाहिने हाथ की तर्जनी से दाहिना नेत्र, अनामिका से बांया नेत्र और मध्यमा से तृतीय नेत्र कल्पित करके मध्य मस्तक का स्पर्श करे।
  • ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे अस्त्राय फट् ॥ – दाहिने हाथ को शिर के ऊपर से घुमाकर ताली बजाये। कुछ लोग तर्जनी और मध्यमा दो उंगलियों से ही निर्देश करते हैं तो कुछ लोग अप्रदक्षिण क्रम का भी निर्देश करते हैं।

॥ अक्षरन्यास ॥

अग्रांकित मंत्रों से क्रमशः शिखा आदि का स्पर्श करें :

  • ऐं नमः, शिखायाम् ॥ – शिखा
  • ह्रीं नमः, दक्षिणनेत्रे ॥ – दाहिना नेत्र
  • क्लीं नमः, वामनेत्रे ॥ – बायां नेत्र
  • चां नमः, दक्षिणकर्णे ॥ – दाहिना कान
  • मुं नमः, वामकर्णे ॥ – बायां कान
  • डां नमः, दक्षिणनासापुटे ॥ – दाहिना नासिकापुट
  • यैं नमः, वामनासापुटे ॥ – बायां नासिकापुट
  • विं नमः, मुखे ॥ – मुख
  • च्चें नमः, गुह्ये ॥ – गुहा

॥ दिङ्न्यास ॥

दशों दिशाओं में चुटकी बजाये :

नवार्ण जप न्यास
नवार्ण जप न्यास
  • ऐं प्राच्यै नमः ॥ – पूर्व
  • ऐं आग्नेय्यै नमः ॥ – अग्निकोण
  • ह्रीं दक्षिणायै नमः ॥ – दक्षिण
  • ह्रीं नैर्ऋत्यै नमः ॥ – नैर्ऋत्यकोण
  • क्लीं प्रतीच्यै नमः ॥ – पश्चिम
  • क्लीं वायव्यै नमः ॥ – वायव्यकोण
  • चामुण्डायै उदीच्यै नमः ॥ – उत्तर
  • चामुण्डायै ऐशान्यै नमः ॥ – ईशानकोण
  • ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊर्ध्वायै नमः ॥ – ऊपर
  • ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे भूम्यै नमः ॥ – नीचे

॥ ध्यानम् ॥

फिर पुष्पादि लेकर देवी का ध्यान करे :

फिर “ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः” इस मन्त्र से माला की पूजा करके प्रार्थना करें –

इस मंत्र से माला को दाहिने हाथ में ग्रहण करे :

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

इसके बाद “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” इस मन्त्र का १०८ बार जप करें और-

फिर इस श्‍लोक को पढ़कर देवी के वामहस्त में जप निवेदन करें।

॥ करन्यासः॥

  • ॐ ह्रीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ॥ – दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी को मिलायें।
  • ॐ चं तर्जनीभ्यां नमः ॥ – पुनः दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी को मिलायें।
  • ॐ डिं मध्यमाभ्यां नमः ॥ – दोनों हाथों के अंगूठे और मध्यमा को मिलायें।
  • ॐ कां अनामिकाभ्यां नमः ॥ – दोनों हाथों के अंगूठे और अनामिका को मिलायें।
  • ॐ यैं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ॥ – दोनों हाथों के अंगूठे और कनिष्ठा को मिलायें।
  • ॐ ह्रीं चण्डिकायै करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ॥ – पहले दोनों करतल को मिलाये फिर दोनों करपृष्ठ को मिलाये।

॥ हृदयादिन्यासः ॥

सरल-पूजा-विधि
सप्तशतीन्यास

॥ ध्यानम् ॥

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः सुशांतिर्भवतु सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु

आगे सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के अनुगमन कड़ी दिये गये हैं जहां से अनुसरण पूर्वक कोई भी अध्याय पढ़ सकते है :

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

Leave a Reply