“अशेषदुःखशान्त्यर्थं लक्ष्मीनारायणं भजे” यह ध्रुव पंक्ति है जिस स्तोत्र का उसे श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् (laxmi narayan ashtakam) स्तोत्र नाम से जाना जाता है। इस ध्रुव पंक्ति में ही देखा जा रहा है कि अशेष दुःख शान्त्यर्थं अर्थात संपूर्ण दुःखों की शांति के लिये लक्ष्मीनारायणं भजे अर्थात लक्ष्मी नारायण को भजता हूँ। इस प्रकार सभी दुःखों का निवारण करने में इस लक्ष्मी नारायण अष्टक स्तोत्र का पाठ विशेष लाभकारी हो सकता है। यहां श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् संस्कृत में दिया गया है।
श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् – laxmi narayan ashtakam
आर्तानां दुःखशमने दीक्षितं प्रभुमव्ययम् ।
अशेषजगदाधारं लक्ष्मीनारायणं भजे ॥१॥
अपारकरुणाम्भोधिं आपद्बान्धवमच्युतम् ।
अशेषदुःखशान्त्यर्थं लक्ष्मीनारायणं भजे ॥२॥
भक्तानां वत्सलं भक्तिगम्यं सर्वगुणाकरम् ।
अशेषदुःखशान्त्यर्थं लक्ष्मीनारायणं भजे ॥३॥
सुहृदं सर्वभूतानां सर्वलक्षणसंयुतम् ।
अशेषदुःखशान्त्यर्थं लक्ष्मीनारायणं भजे ॥४॥
चिदचित्सर्वजन्तूनां आधारं वरदं परम् ।
अशेषदुःखशान्त्यर्थं लक्ष्मीनारायणं भजे ॥५॥
शङ्खचक्रधरं देवं लोकनाथं दयानिधिम् ।
अशेषदुःखशान्त्यर्थं लक्ष्मीनारायणं भजे ॥६॥
पीताम्बरधरं विष्णुं विलसत्सूत्रशोभितम् ।
अशेषदुःखशान्त्यर्थं लक्ष्मीनारायणं भजे ॥७॥
हस्तेन दक्षिणेन यजं अभयप्रदमक्षरम् ।
अशेषदुःखशान्त्यर्थं लक्ष्मीनारायणं भजे ॥८॥
यः पठेत् प्रातरुत्थाय लक्ष्मीनारायणाष्टकम् ।
विमुक्तस्सर्वपापेभ्यः विष्णुलोकं स गच्छति ॥
॥ इति श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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