दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 7

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 7

धूम्रलोचन के वध की सूचना पाने के बाद शुम्भ-निशुम्भ क्रुद्ध हो गया और चण्ड-मुण्ड नामक दो बलशाली असुरों को चतुरंगिनी सेना देकर भेजा। चण्ड-मुण्ड की भी वही स्थिति हुई अर्थात वह भी मृत्युलोक से प्रस्थान कर गया। सातवें अध्याय में उवाचादि सहित कुल २७ श्लोक हैं जिसमें से २ उवाच हैं और २५ श्लोक हैं। प्रथम अध्याय से सातवें अध्याय पर्यन्त श्लोकों की कुल संख्या 439 होती है। इस आलेख में दुर्गा सप्तशती का चण्ड-मुण्ड वध नामक सप्तम अध्याय दिया गया है।

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 7

चण्ड और मुण्ड का वध – चामुण्डा देवी की कथा

॥ ध्यानम् ॥

श्री दुर्गा सप्तशती सप्तम अध्याय कथा का सारांश :

  • अपनी सेना का नाश सुनकर शुम्भ और निशुम्भ अत्यंत क्रोधित हुआ।
  • फिर उसने चण्ड और मुण्ड नामक दो बलशाली असुरों को विशाल सेना के साथ युद्ध के लिये भेजा।
  • दैत्यराज की आज्ञा पाकर चण्ड और मुण्ड चतुरंगिनी सेना को साथ लेकर देवी से लड़ने के लिए चल दिया।
  • हिमालय पर्वत पर पहुँच कर उन्होंने मुस्कुराती हुई देवी जो सिंह पर बैठी हुई थी देखा, जब असुर उनको पकड़ने के लिए तलवारें लेकर उनकी ओर बढ़े तब अम्बिका को बड़ा क्रोध आया जिससे उनका मुख काला पड़ गया, भृकुटियाँ चढ़ गई और ललाट में से अत्यंत भयंकर तथा अत्यंत विस्तृत मुख वाली, लाल आँखों वाली काली प्रकट हुई जो कि अपने हाथों में तलवार और पाश लिये हुए थी।
श्री दुर्गा सप्तशती
श्री दुर्गा सप्तशती
  • वह विचित्र खड्ग धारण किये हुए थी तथा चीते के चर्म की साड़ी एवं नरमुण्डों की माला पहन रखी थी। उसका माँस सूखा हुआ था और शरीर केवल हड्डियों का ढाँचा था और जो भयंकर शब्द से दिशाओं को पूर्ण कर रही थी, वह असुर सेना पर टूट पड़ी और दैत्यों का भक्षण करने लगी।
  • यह देख महा पराक्रमी चण्ड काली देवी की ओर लपका और मुण्ड ने भी देवी पर अपने भयानक बाणों की वर्षा आरम्भ कर दी और अपने हजारों चक्र उस पर छोड़े।
  • उस समय वह चमकते हुए बाण व चक्र देवी के मुख में प्रविष्ट हुए इस प्रकार दिख रहे थे जैसे मानो बहुत से सूर्य मेघों की घटा में प्रविष्ट हो रहे हों। इसके पश्चात भयंकर शब्द के साथ काली ने अत्यन्त जोश में भरकर विकट अट्टहास किया।
  • फिर उसने तलवार हाथ में लेकर “हूँ” शब्द कहकर चण्ड के ऊपर आक्रमण किया और उसके केश पकड़कर उसका सिर काटकर अलग कर दिया, चण्ड को मरा हुआ देखकर मुण्ड देवी की ओर लपखा परन्तु देवी ने क्रोध में भरे उसे भी अपनी तलवार से यमलोक पहुँचा दिया।
  • चण्ड और मुण्ड को मरा हुआ देखकर उसकी बाकी बची हुई सेना वहाँ से भाग गई। इसके पश्चात काली चण्ड और मुण्ड के कटे हुए सिरों को लेकर चण्डिका के पास गई और प्रचण्ड अट्टहास के साथ कहने लगी-हे देवी! चण्ड और मुण्ड दो महा दैत्यों को मारकर तुम्हें भेंट कर दिया है, अब शुम्भ और निशुम्भ का तुमको स्वयं वध करना है।
  • वहाँ लाये हुए चण्ड और मुण्ड के सिरों को देखकर कल्याणकारी चण्डी ने काली से मधुर वाणी में कहा – हे देवी! तुम चूँकि चण्ड और मुण्ड को मेरे पास लेकर आई हो, अत: संसार में चामुण्डा के नाम से तुम्हारी ख्याति होगी।

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः सुशांतिर्भवतु सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु

आगे सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के अनुगमन कड़ी दिये गये हैं जहां से अनुसरण पूर्वक कोई भी अध्याय पढ़ सकते है :

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