व्रात्य - Vraty

उपनयन संस्कार और व्रात्य

उपनयन संस्कार और व्रात्य, व्रात्य का अर्थ – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तीनों वर्णों के लिये यज्ञोपवीत की एक सुनिश्चित अवधि है, व्रात्य का अर्थ होता है उस अवधि का अतिक्रमण हो जाना। निर्धारित अवधी व्यतीत हो जाने पर जिस व्यक्ति का उपनयन नहीं होता अथवा 10 संस्कारों का लोप हो जाता है उसे व्रात्य कहा जाता है ।

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उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024

उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024

उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024 – उपनयन संस्कार मुहूर्त से मुख्य तात्पर्य उपनयन संस्कार ही होता है, किन्तु उपनयन संस्कार मुहूर्त में ही उपनयन के साथ मुंडन, वेदारम्भ और समावर्तन भी किये जाते हैं।

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मुंडन संस्कार मुहूर्त 2024 – mundan muhurat

मुंडन संस्कार मुहूर्त 2024 – mundan muhurat

मुंडन संस्कार मुहूर्त 2024 –
8 जुलाई 2024, सोमवार, आषाढ़ शुक्ल तृतीया, नक्षत्र पुष्य 6:02 am तक।
12 जुलाई 2024, शुक्रवार, आषाढ़ शुक्ल (षष्ठी) सप्तमी में 12:32 pm से, नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी और हस्त दोनों प्रशस्त।

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समावर्तन संस्कार – samavartan sanskar

समावर्तन संस्कार – samavartan sanskar

समावर्तन संस्कार – सामान्य जन एक ही दिन में उपनयन के उपरान्त प्रतीकात्मक रूप से वेदारम्भ और पारायणरहित ही समावर्तन करते हैं।

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कैसे करते हैं वेदारम्भ संस्कार – vedarambh

कैसे करते हैं वेदारम्भ संस्कार – vedarambh

वेदारम्भ संस्कार – वेदाध्ययन का मूल स्वरूप गुरुकुल में आचार्य से दीक्षित होकर ब्रह्मचर्यधारण पूर्वक सभी नियमों का पालन करते हुये वेदाध्ययन करना है। सामान्य जनों की वेदाध्ययन से निवृत्ति हो गयी है।

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क्या आप उपनयन संस्कार के इन महत्वपूर्ण तथ्यों को जानते हैं – upnayan sanskar

क्या आप उपनयन संस्कार के इन महत्वपूर्ण तथ्यों को जानते हैं – upnayan sanskar

उपनयन संस्कार (upnayan sanskar) – उपनयन के द्वारा इन तीनों वर्णों का नया जीवन आरम्भ होता है जिसमें गायत्री, वेद, यज्ञ आदि का अधिकार प्राप्त होता है। उपनयन होने के बाद ही उपनीत को श्रौत और स्मार्त कर्म का अधिकार प्राप्त होता है।

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क्या है मुंडन संस्कार ? विधि और मंत्र – चूडाकरण – mundan

क्या है मुंडन संस्कार ? विधि और मंत्र – चूडाकरण – mundan

मुंडन संस्कार – विशेष विधि से केशाधिवासन पूर्वक संस्कार की प्रक्रिया से हवनादि करके प्रथम बार मुंडन किया जाता है तो वह चूडाकरण कहा जाता है।

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उपनयन संस्कार विधि – वाजसनेयी

उपनयन संस्कार विधि – वाजसनेयी

उपनयन संस्कार विधि – यद्यपि उपनयन एक ही संस्कार है तथापि युगव्यवस्था से उपनयन में एक साथ 4 संस्कार सम्पन्न किया जाता है :- चूडाकरण, उपनयन, वेदारंभ व समावर्तन ।

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16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार

16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार

16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार : मनुष्य जन्म अत्यंत दुर्लभ होता है और यह पुण्योदय के परिणामस्वरूप प्राप्त होता है। मनुष्य शरीर की प्राप्ति का प्रमुख उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति करना होता है। इसके लिए, हमें अपने पहले संचित दोषों को साफ करना होता है और नए सद्गुणों को स्थापित करना होता है, जिसे “संस्कार” कहा जाता है। सनातन या हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं, जो गर्भाधान से लेकर अंतिम संस्कार तक होते हैं और ये हमें मोक्ष प्राप्ति के योग्य बनाने में मदद करते हैं।

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