ब्रह्माण्डपावन विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में - Brahmandapavan vishnu kavach

ब्रह्माण्डपावन विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में – Brahmandapavan vishnu kavach

ब्रह्मवैवर्त पुराण में शौनक – सौति संवाद रूप में भगवान विष्णु का एक अद्भुत कवच वर्णित है जिसे ब्रह्माण्डपावन कवच (Brahmandapavan vishnu kavach) नाम से जाना जाता है। इस कवच पाठ का फल सहस्र अश्वमेध यज्ञ और शत वाजपेय यज्ञतुल्य बताया गया है। यह भी कहा गया है कि इस कवच को धारण करने वाला जीवन्मुक्त हो जाता है, विष्णुतुल्य हो जाता है।

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त्रैलोक्यमङ्गल विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में - Trailokyamangal vishnu kavach

त्रैलोक्यमङ्गल विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में – Trailokyamangal vishnu kavach

भगवान विष्णु का एक कवच नारद पंचरात्र में भी है जिसे त्रैलोक्यमङ्गल विष्णु कवच (Trailokyamangal vishnu kavach) नाम से भी जाना जाता है। अष्टोत्तर शतावृत्ति करना इसका पुरश्चरण प्रयोग कहा गया है। इस कवच का जो नित्य पाठ करता है उसका त्रैलोक्य में मंगल ही मंगल होता है और वह त्रैलोक्य विजयी भी होता है।

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विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में - vishnu kavach

विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में – vishnu kavach

जब दुःख के सागर में शोकसंतप्त राजा हरिश्चंद्र में ऋषि अगस्त्य से मुक्ति का उपाय पूछा तो उन्होंने विष्णु कवच (vishnu kavach) बताया। यह विष्णु कवच सभी प्रकार का मंगल करने वाला है, सभी रोगों का प्रशमन करने वाला है, सभी शत्रुओं का विनाश करने वाला है ऐसा फलश्रुति कहा गया है।

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लक्ष्मी नारायण कवच - lakshmi narayana kavach

लक्ष्मी नारायण कवच – lakshmi narayana kavach

रुद्रयामल तंत्र में भैरव द्वारा देवी को लक्ष्मी नारायण कवच (lakshmi narayana kavach) बताया गया है जिसे श्रीवज्रपञ्जर नामक अद्भुत कवच भी कहा गया है। विजयदायक, बन्ध्यत्व निवारक आदि अनेकों फल भी बताये गये हैं और इसके प्रयोग में गुरुमुखी होना अनिवार्य कहा गया है। यहां रुद्रयामल तंत्रोक्त लक्ष्मी नारायण कवच संस्कृत में दिया गया है।

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श्रीमद्भागवतोक्त नारायण कवच संस्कृत में - narayana kavacham

श्रीमद्भागवतोक्त नारायण कवच संस्कृत में – narayana kavacham

श्रीमद्भागवतोक्त नारायण कवच संस्कृत में – narayana kavacham : श्रीमद्भागवत महापुराण को पंचम वेद भी कहा गया है। भगवान विष्णु का वास क्षीरसागर में है, जल का ही नाम नार होता है और नार जिसका अयन है उसका नाम नारायण है। भगवान नारायण का कवच श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित है।

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गोपाल कवच संस्कृत में - gopal kavach

गोपाल कवच संस्कृत में – gopal kavach

गोपाल कवच संस्कृत में – gopal kavach : नारद पंचरात्र में गोपाल कवच वर्णित है जिसे बाल गोपाल कवच भी कहा जा सकता है। इसी के साथ एक और महत्वपूर्ण गोपाल कवच ब्रह्मसंहिता में वर्णित है जिसे श्रीगोपालाक्षयकवचं नाम से जाना जाता है। प्रथम गोपाल कवच का मुख्य फल नित्य पाठ से शत्रुरहित होना बताया गया है तो द्वितीय श्रीगोपालाक्षयकवचं के अन्य अनेकानेक फल भी बताये गये हैं।

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श्री कृष्ण त्रैलोक्य विजय कवच | श्री कृष्ण कवच - krishna kavach

श्री कृष्ण त्रैलोक्य विजय कवच | श्री कृष्ण कवच – krishna kavach

श्री कृष्ण त्रैलोक्य विजय कवच | श्री कृष्ण कवच – krishna kavach : भगवान श्री कृष्ण के भी कई कवच स्तोत्र हैं जो पुराणों में मिलते हैं और इनमें से एक विशेष महत्वपूर्ण कवच है महादेव द्वारा परशुराम जी को दिया गया श्री कृष्ण कवच (krishna kavach) जो ब्रह्मवैवर्त्त पुराण में वर्णित है। इस कवच स्तोत्र का एक नाम श्री कृष्ण त्रैलोक्य विजय कवच भी है।

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नरसिंह कवच स्तोत्र - narsingh kavach stotra

नरसिंह कवच स्तोत्र – narsingh kavach stotra

नरसिंह कवच स्तोत्र – narsingh kavach stotra : दशावतारों में नरसिंह अवतार का विशेष महत्व इसलिये है क्योंकि इसमें नरसिंह भगवान भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हैं और इसके लिये हिरण्यकशिपु को मिले सभी वरदानों की तोड़ निकालकर एक ऐसा स्वरूप धारण करते हैं जो अद्वितीय है और वो है नर व सिंह का संयुक्त स्वरूप। इस प्रकार रक्षा की भावना हो तो भगवान नृसिंह से रक्षा कामना विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है।

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एकादश मुखी हनुमान कवच - ekadash mukhi hanuman kavach

एकादश मुखी हनुमान कवच – ekadash mukhi hanuman kavach

एकादश मुखी हनुमान कवच – ekadash mukhi hanuman kavach : जिस प्रकार हनुमान जी का एक स्वरूप पंचमुखी है और वो इसलिये कि भगवान शिव के पांच मुख हैं और हनुमान रुद्रावतार ही हैं। उसी प्रकार से रुद्रों की संख्या ११ है और इसलिये हनुमान का एक स्वरूप एकादश मुखी हनुमान वाला भी है।

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सुदर्शनसंहितोक्त पंचमुखी हनुमान कवच - panchmukhi hanuman kavach

सुदर्शनसंहितोक्त पंचमुखी हनुमान कवच – panchmukhi hanuman kavach

सुदर्शनसंहितोक्त पंचमुखी हनुमान कवच – panchmukhi hanuman kavach : हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप को अराधना में विशेष महत्व प्राप्त है और इनकी अराधना में सबसे मुख्य कवच है जिसे पंचमुखी हनुमान कवच (panchmukhi hanuman kavach) कहते हैं। यदि हम पंचमुखी हनुमान कवच की बात करें तो यह विशेष महत्वर्पूण है जो श्रीसुदर्शन संहिता में शिव-पार्वती संवाद रूप में मिलता है।

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