क्या आप सर्वदा विजय की इच्छा रखते हैं? क्या आप माता लक्ष्मी और भगवान नारायण दोनों की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं ? लक्ष्मी नारायण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (lakshmi narayana ashtottara shatanama stotram) बहुत ही महत्वपूर्ण स्तोत्र है जिसमें लक्ष्मी और नारायण दोनों का संयुक्त रूप से अष्टोत्तर शतनाम दिया गया है और श्लोकों की कुल संख्या मात्र १४ ही है। यहां श्री लक्ष्मीनारायणाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् संस्कृत में दिया गया है।
श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् – lakshmi narayana ashtottara shatanama stotram
श्रीर्विष्णुः कमला शार्ङ्गी लक्ष्मीर्वैकुण्ठनायकः ।
पद्मालया चतुर्बाहुः क्षीराब्धितनयाऽच्युतः ॥१॥
इन्दिरा पुण्डरीकाक्षा रमा गरुडवाहनः ।
भार्गवी शेषपर्यङ्को विशालाक्षी जनार्दनः ॥२॥
स्वर्णाङ्गी वरदो देवी हरिरिन्दुमुखी प्रभुः ।
सुन्दरी नरकध्वंसी लोकमाता मुरान्तकः ॥३॥
भक्तप्रिया दानवारिः अम्बिका मधुसूदनः ।
वैष्णवी देवकीपुत्रो रुक्मिणी केशिमर्दनः ॥४॥
वरलक्ष्मी जगन्नाथः कीरवाणी हलायुधः ।
नित्या सत्यव्रतो गौरी शौरिः कान्ता सुरेश्वरः ॥५॥
नारायणी हृषीकेशः पद्महस्ता त्रिविक्रमः ।
माधवी पद्मनाभश्च स्वर्णवर्णा निरीश्वरः ॥६॥
सती पीताम्बरः शान्ता वनमाली क्षमाऽनघः ।
जयप्रदा बलिध्वंसी वसुधा पुरुषोत्तमः ॥७॥
राज्यप्रदाऽखिलाधारो माया कंसविदारणः ।
महेश्वरी महादेवो परमा पुण्यविग्रहः ॥८॥
रमा मुकुन्दः सुमुखी मुचुकुन्दवरप्रदः ।
वेदवेद्याऽब्धि-जामाता सुरूपाऽर्केन्दुलोचनः ॥९॥
पुण्याङ्गना पुण्यपादो पावनी पुण्यकीर्तनः ।
विश्वप्रिया विश्वनाथो वाग्रूपी वासवानुजः ॥१०॥
सरस्वती स्वर्णगर्भो गायत्री गोपिकाप्रियः ।
यज्ञरूपा यज्ञभोक्ता भक्ताभीष्टप्रदा गुरुः ॥११॥
स्तोत्रक्रिया स्तोत्रकारः सुकुमारी सवर्णकः ।
मानिनी मन्दरधरो सावित्री जन्मवर्जितः ॥१२॥
मन्त्रगोप्त्री महेष्वासो योगिनी योगवल्लभः ।
जयप्रदा जयकरः रक्षित्री सर्वरक्षकः ॥१३॥
अष्टोत्तरशतं नाम्नां लक्ष्म्या नारायणस्य च ।
यः पठेत् प्रातरुत्थाय सर्वदा विजयी भवेत् ॥१४॥
॥ इति श्री लक्ष्मीनारायणाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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