दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 10

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 10

दशम अध्याय में उवाचादि सहित कुल ३२ श्लोक हैं जिसमें से ४ उवाच, १ अर्द्धश्लोक और २८ श्लोक हैं। प्रथम अध्याय से दशम अध्याय तक श्लोकों की कुल संख्या 575 है। देवी द्वारा निशुम्भ वध के उपरांत शुम्भ लांछन करता है कि औरों के बल पर आश्रित होकर गर्व करती हो तब देवी कहती है इस अखिल विश्व में एक मैं ही हूँ, मेरे अतिरिक्त और कोई है ही नहीं एवं ब्रह्माणी आदि सभी शक्तियां देवी में ही समाहित हो गई। तदनंतर देवी के साथ शुम्भ का भयंकर युद्ध हुआ और अंत में देवी ने त्रिशूल से शुम्भ का वध किया। इस आलेख में दुर्गा सप्तशती का शुम्भवध नामक दशम अध्याय दिया गया है।

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 10

शुम्भवध नामक दशम अध्याय

॥ ध्यानम् ॥

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः सुशांतिर्भवतु सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु

आगे सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के अनुगमन कड़ी दिये गये हैं जहां से अनुसरण पूर्वक कोई भी अध्याय पढ़ सकते है :

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