कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन अर्द्धरात्रि में काली/श्यामा पूजा की जाती है। यह पूजा विशेषतः मंदिरों में प्रतिमा बनाकर की जाती है। दीपावली की रात घरों में लोग लक्ष्मी पूजा करते हैं लेकिन काली उपासक माता काली की पूजा भी घर में करते हैं। काली माता की पूजा के सभी मंत्र यहां दिये गये हैं। सभी मंत्र संस्कृत में हैं। मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है।
प्राणप्रतिष्ठा, स्वागत, आसन, पाद्य, उबटन, अर्घ्य, आचमन, स्नान, अष्टगार्घ्य, मधुपर्क आदि उपचारों द्वारा पूजा-अर्चना करके माँ काली को प्रसन्न किया जाता है। माँ काली पूजा के सभी उपचारों का पौराणिक मंत्र और विधि इस प्रकार हैं :-

मां काली की पूजा कैसे करें
काली माता का ध्यान मंत्र : गन्धपुष्पाक्षत युक्त अञ्जलिबद्ध होकर काली माता का ध्यान इन मंत्रों से करें –
ॐ करालवदनां घोरां मुक्तकेशीं चतुर्भुजाम् । दक्षिणां कालिकां दिव्यां मुण्डमालाविभूषिताम् ॥
सद्यरिछन्नशिरः खड्गवामाधोर्घ्वंकराम्बुजाम् । महामेघप्रभां श्यामां तथा चैव दिगम्बराम् ॥
कण्ठावसक्तमुण्डालीगलद्रुधिरचर्चिताम् । कर्णावतंसतानीतशव युग्मभयानकाम् ॥
घोरदंष्ट्रां करालास्यां पीनोन्नतपयोधराम्। शवानां करसंघातैः कृतकाञ्चीं हसन्मुखीम् ॥
सृक्कद्वयगलद्रक्तधाराविस्फुरिताननाम्। घोररावां महारौद्रीं श्मशानालयवासिनीम् ॥
बालार्कमण्डलाकारां लोचनत्रितयान्विताम् । दन्तुरां दक्षिणव्यापिमुक्तालम्बिकचोच्चयाम् ॥
शवरूप महादेवहृदयोपरि संस्थिताम्। शिवाभिर्घोररावाभिश्चतुर्दिक्षु समन्विताम् ॥
महाकालेन च समं विपरीतरतातुराम् । सुखप्रसन्नवदनां स्मेराननसरोरुहाम् ॥
एवं सञ्चिन्तयेत् कालीं धर्मकामार्थमोक्षदाम् ॥
ॐ देवेशि भक्तिमुलभे परिवारसमन्विते। यावत्त्वां पूजयिष्यामि तावद देवि स्थिरा भव ॥
इन मंत्रों से ध्यान करके पुष्पादि प्रतिमा के शिर पर अर्पित करें
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