सूर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | surya 108 naam stotra

सूर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | surya 108 naam stotra

सूर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | surya 108 naam stotra : किसी को भी प्रसन्न करने के लिये स्तोत्र का विशेष महत्व बताया गया है। स्तोत्रों में देवताओं के 108 नाम अर्थात अष्टोत्तरशत नामों का भी विशेष होता है। यहां सूर्य का अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र (surya 108 naam stotra) दिया गया है।

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नवग्रह शांति उपाय – navagrah

नवग्रह शांति उपाय – navagrah : 1st

नवग्रह शांति उपाय – ग्रहाः राज्यं प्रयच्छन्ति ग्रहाः राज्यं हरन्ति च …. इस आलेख में नवग्रह शांति के विभिन्न उपायों पर प्रकाश डाला गया है और साथ-साथ नवग्रहों के वैदिक मंत्र, तांत्रिक मंत्र, नवग्रह स्तोत्र आदि दिया गया है। – navagrah

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हेमाद्रि संकल्प प्रयोग – विस्तृत संकल्प

हेमाद्रि संकल्प प्रयोग – विस्तृत संकल्प (Sankalp 2)

हेमाद्रि संकल्प बृहद् होने के कारण सामान्यतः प्रयोग नहीं किया जाता है किन्तु, प्रयास करना चाहिये। इसमें भारत का विशद विवरण किया गया है और जो लोग भारत को किसी मुगल या आक्रमणकारी से जोड़कर सिद्ध करने का प्रयास करते हैं उनको इसका विशेष रूप से अध्ययन करना चाहये।

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महामृत्युंजयष्टक

महामृत्युंजयष्टक

किसी भी भगवान की आराधना में स्तोत्र का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। स्तोत्रों में अष्टक का विशेष महत्व होता है। सभी देवताओं के विभिन्न स्तोत्रों के साथ ही उनके अष्टक स्तोत्र भी होते है। इसी प्रकार महामृत्युंजय भगवान का भी अष्टक स्तोत्र है। इस आलेख में महमृत्युञ्जय अष्टक दिया गया है।

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महामृत्युंजय स्तोत्र pdf सहित

महामृत्युंजय स्तोत्र pdf सहित – Maha mrityunjaya Stotra

महामृत्युंजय स्तोत्र pdf सहित – Maha mrityunjaya Stotra – महामृत्युंजय स्तोत्र के दो प्रकार पाये जाते हैं एक मार्कण्डेयकृत और दूसरा लोमशकृत । यहाँ दोनों प्रकार के महामृत्युंजय स्तोत्र दिये गये हैं जिससे महामृत्युंजय उपासना में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

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ब्रह्मसूक्तं – brahm suktam

ब्रह्मसूक्तं – brahm suktam

ॐ तेजोऽसि शुक्रममृतमायुष्पाऽआयुर्मेपाहि । देवस्य त्वा सवितुः प्रसवेऽश्विनोर्बाहुभ्याम्पूष्णोहस्ताभ्यामाददे ॥१॥ इमामगृभ्णन्रशनामृतस्य पूर्व ऽआयुषिव्विदथेषुकव्या । सा नो ऽअस्मिन्सुत ऽआ बभूवऽऋतस्य सामन्त्सरमारपन्ती ॥२॥

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स्वस्तिवाचन – चारों वेदों का – swastiwachan mantra

स्वस्तिवाचन – चारों वेदों का – swastiwachan mantra

स्वस्तिवाचन – चारों वेदों का – swastiwachan mantra : इस प्रकार यहां सम्पूर्ण स्वस्तिवाचन मंत्र (यजुर्वेदीय) के साथ-साथ ऋग्वेद स्वस्तिवाचन, सामवेद का स्वस्तिवाचन और अथर्ववेद का स्वस्तिवाचन भी संकलित किया गया जो बहुत सारे लोगों के लिये उपयोगी सिद्ध होगा।

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देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् – देवी अपराध क्षमापन स्तोत्र

देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् – देवी अपराध क्षमापन स्तोत्र

इसका प्रार्थना का भाव इतना गंभीर है कि कुटिल जीव का भी हृदय द्रवित हो जाये। फिर जो माता स्वभावतः भक्तों के ऊपर दया करने को आतुर रहती है उनके लिये तो कहना ही क्या ?

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दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला – दुर्गा के 32 नाम

दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला – दुर्गा के 32 नाम

यह रहस्य अत्यंत गोपनीय और दुर्लभ हैं। मेरे बत्तीस नामों की माला सब प्रकार की आपत्ति का विनाश करने वाली हैं। तीनों लोकों में इस के समान दूसरी कोई स्तुति नहीं हैं। यह रहस्यरूप हैं।

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दुर्गा मानस पूजा अर्थ सहित

दुर्गा मानस पूजा अर्थ सहित

मानस पूजा उत्तम प्रकार है। अपने इष्ट का मन में ध्यान करके उनके मानस पूजा स्तोत्र का पाठ करते हुये मन में ही पूजा के विभिन्न दिव्य उपचारों (आसन, पाद्य, अर्घ्य आदि) की कल्पना करके अर्पित की जाती है। मानस पूजा में किसी वस्तु की नहीं केवल भाव की आवश्यकता होती है।

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