क्षमा प्रार्थना मंत्र

क्षमा प्रार्थना मंत्र

क्षमा प्रार्थना का तात्पर्य है अपने अपराधों (गलतियों) के लिये क्षमा याचना की विनती करना। यहां दिये गये क्षमा प्रार्थना में एक मंत्र “आवाहनं न जानामि” का प्राकारांतर भी दिया गया है एवं एक अतिरिक्त मंत्र “प्रसीद भगवत्यम्ब” भी दिया गया है।

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मूर्ति रहस्य दुर्गा सप्तशती

मूर्ति रहस्य दुर्गा सप्तशती

ॐ नन्दा भगवती नाम या भविष्यति नन्दजा।
स्तुता सा पूजिता भक्त्या वशीकुर्याज्जगत्त्रयम्॥
कनकोत्तमकान्तिः सा सुकान्तिकनकाम्बरा।
देवी कनकवर्णाभा कनकोत्तमभूषणा॥

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वैकृतिक रहस्य – दुर्गा सप्तशती पाठ

वैकृतिक रहस्य – दुर्गा सप्तशती पाठ

ॐ त्रिगुणा तामसी देवी सात्त्विकी या त्रिधोदिता।
सा शर्वा चण्डिका दुर्गा भयहां श्रीदुर्गा सप्तशती के रहस्यत्रयों में से एक वैकृतिक रहस्य दिया गया है। संस्कृत पाठ के साथ-साथ हिंदी में भी दिया गया है एवं अभ्यास हेतु विडियो भी दिया गया है।द्रा भगवतीर्यते॥१॥
योगनिद्रा हरेरुक्ता महाकाली तमोगुणा।
मधुकैटभनाशार्थं यां तुष्टावाम्बुजासनः॥२॥

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प्राधानिक रहस्य

प्राधानिक रहस्य

भगवन्नवतारा मे चण्डिकायास्त्वयोदिताः।
एतेषां प्रकृतिं ब्रह्मन् प्रधानं वक्तुमर्हसि॥१॥
आराध्यं यन्मया देव्याः स्वरूपं येन च द्विज।
विधिना ब्रूहि सकलं यथावत्प्रणतस्य मे॥२॥

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न्यास – नवार्ण मंत्र जप

न्यास – नवार्ण मंत्र जप

श्रीगणपतिर्जयति। ॐ अस्य श्रीनवार्णमन्त्रस्य ब्रह्मविष्णुरुद्रा ऋषयः, गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छन्दांसि, श्रीमहाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः, ऐं बीजम्, ह्रीं शक्तिः, क्लीं कीलकम्, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वतीप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः॥

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देवी सूक्त संस्कृत – वेदोक्त देवी सूक्त, तंत्रोक्त देवी सूक्त

देवी सूक्त संस्कृत – वेदोक्त देवी सूक्त, तंत्रोक्त देवी सूक्त

सप्तशती पाठ के बाद देवीसूक्त पाठ करना चाहिये। देवीसूक्त भी वेदोक्त और तंत्रोक्त दो प्रकार के हैं। यहां ऋग्वेदोक्त देवीसूक्त और तंत्रोक्त (जो कि श्रीदुर्गासप्तशती का ही है) देवी सूक्त, दोनों दिया गया है।

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दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 12

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 12

स्तुति से प्रसन्न होकर देवताओं को बाधानिवारण का वरदान देने के पश्चात् बारहवें अध्याय में भगवती स्वयं ही सप्तशती के पाठ, श्रवण आदि का माहात्म्य बताती हैं। ग्यारहवां अध्याय वास्तव में सप्तशती का माहात्म्य ही है जो स्वयं भगवती द्वारा ही बताया गया है।

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दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 11

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 11

देवी द्वारा शुम्भ वध के उपरांत दशों दिशाओं में हर्ष व्याप्त हो गया, देवताओं के मुखकमल खिल गये और हर्षित होकर देवताओं ने देवी की स्तुति किया। स्तुति से प्रसन्न होने के बाद देवी ने वर मांगने के लिये कहा तो देवताओं ने सभी बाधाओं को शमन करने के लिये कहा।

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दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 10

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 10

देवी द्वारा निशुम्भ वध के उपरांत शुम्भ लांछन करता है कि औरों के बल पर आश्रित होकर गर्व करती हो तब देवी कहती है इस अखिल विश्व में एक मैं ही हूँ,

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