समावर्तन संस्कार – samavartan sanskar

समावर्तन संस्कार – samavartan sanskar

फिर कुश द्वारा ब्रह्मा से अन्वारब्ध करके पातितदक्षिणजानु होकर प्रज्वलित अग्नि में स्रुवा से आज्याहुति दे। आहुति के पश्चात् शेष प्रोक्षणी में प्रक्षेप करे :-

  1. ॐ प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये। (मानसिक मात्र) प्रजापति का स्वाहाकार मंत्र बिना बोले आहुति दे, इदं प्रजापतये भी बिना बोले शेष प्रोक्षणीपात्र में प्रक्षेप करे।
  2. ॐ इन्द्राय स्वाहा, इदं इन्द्राय।
  3. ॐ अग्नये स्वाहा, इदं अग्नये।
  4. ॐ सोमाय स्वाहा, इदं सोमाय।

फिर अनन्वारब्ध (ब्रह्मा से बिना सम्बन्ध के) करके तथा हुतशेष रहित 11 आहुति दें :

  1. ॐ अन्तरिक्षाय स्वाहा, इदमन्तरिक्षाय ॥
  2. ॐ वायवे स्वाहा, इदं वायवे ॥
  3. ॐ ब्रह्मणे स्वाहा, इदं ब्रह्मणे ॥
  4. ॐ छन्दोभ्यः स्वाहा, इदं छन्दोभ्यः ॥

पुनः 7 सामान्याहुति दे :

ॐ प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये ॥ (मानसिक मात्र) प्रजापति का स्वाहाकार मंत्र बिना बोले आहुति दे ।

अगली 6 आहुति उच्चारण करके प्रदान करे :

  1. ॐ देवेभ्यः स्वाहा, इदं देवेभ्यः ॥
  2. ॐ ऋषिभ्यः स्वाहा, इदं ऋषिभ्यः ॥
  3. ॐ श्रद्धायै स्वाहा, इदं श्रद्धायै ॥
  4. ॐ मेधायै स्वाहा, इदं मेधायै ॥
  5. ॐ सदसस्पतये स्वाहा, इदं सदसस्पतये ॥
  6. ॐ अनुमतये स्वाहा, इदं अनुमतये ॥

पुनः ब्रह्मा से अन्वारब्ध करके हुतशेष प्रक्षेप करते हुये हवन करे :

महाव्याहृति होम : १. ॐ भूः स्वाहा, इदं भूः॥ २. ॐ भुवः स्वाहा, इदं भुवः॥ ३. ॐ स्वः स्वहा, इदं स्वः ॥

फिर प्रायश्चित्तसंज्ञक ये पञ्चमहावारुणी होम करे :

  1. ॐ त्वन्नोऽअग्ने वरुणस्य विद्वान् देवस्य हेडो अवयासि सीष्ठाः। यजिष्ठो वह्नितमः शोशुचानो विश्वा द्वेषाᳪसि प्रमुमुग्ध्यस्मत् स्वाहा, इदमग्मीवरुणाभ्याम् ॥
  2. ॐ स त्वन्नो अग्नेऽवमो भवोती नेदिष्ठो अस्या उषसो व्युष्टौ। अवयक्ष्व नो वरुणᳪरराणो वीहि मृडीकᳪसुहवो न एधि स्वाहा, इदमग्नीवरुणाभ्याम् ॥
  3. ॐ अयाश्चाग्नेऽस्य नभिशस्तिपाश्च सत्यमित्त्वमया असि । अया नो यज्ञ ᳪ वहास्ययानो धेहि भेषज ᳪ स्वाहा, इदमग्नये॥
  4. ॐ ये ते शतँवरुण ये सहस्रं यज्ञियाः पाशा वितता महान्तः। तेभिर्न्नो अद्य सवितोत विष्णुर्विश्वे मुञ्चन्तु मरुतः स्वर्काः स्वाहा, इदं वरुणाय सवित्रे विष्णवे विश्वेभ्यो देवेभ्यो मरुद्भ्यः स्वर्केभ्यः॥
  5. ॐ उदुत्तमँव्वरुण पाशमस्मदवाधमं विमध्यमᳪश्रथाय । अथा व्वयमादित्य व्रते तवानागसो अदितये स्याम स्वाहा, इदं वरुणाय ॥
  6. ॐ प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये। (मानसिक मात्र)
  7. स्विष्टकृद्धोम : ब्रह्मणान्वारब्ध पूर्वक स्रुवा में आज्य लेकर स्विष्टकृद्धोम करे : ॐ अग्नये स्विष्टकृते स्वाहा, इदं अग्नयेस्विष्टकृते ॥
  8. संसव प्राशन : प्रोक्षणी में प्रक्षिप्त आहुति अवशेष आज्याहुति का अनामिका और अंगुष्ठ से प्राशन करे ।
  9. आचमन : फिर २ आचमन करे ।
  10. ब्रह्म दक्षिणा (पूर्णपात्र) : ॐ अद्य कृतैतत् उपनयन होमकर्मणि कृताकृतावेक्षणरूप ब्रह्मकर्मप्रतिष्ठार्थमिदं पूर्णपात्रं प्रजापति दैवतम् …..गोत्राय ……शर्मणे ब्राह्मणाय ब्रह्मणे दक्षिणां तुभ्यमहं सम्प्रददे । ब्रह्मा को पूर्णपात्र प्रदान करे, ब्रह्मा ॐ स्वस्ति कहकर ग्रहण करे । फिर दाहिना हाथ पकरकर ब्रह्मा को प्रदक्षिणक्रम से उठाए । यदि कुशात्मक ब्रह्मा हों तो यह मंत्र पढे – ॐ अद्य कृतैतत् समावर्तन होमकर्मणि कृताऽकृताऽवेक्षणरूप ब्रह्मकर्मप्रतिष्ठार्थमिदं पूर्णपात्रं प्रजापतिदैवतं ब्रह्मणे दक्षिणा नमः ॥ पूर्णपात्र दक्षिणा देकर कुशात्मक ब्रह्मा की ग्रंथि खोल दे ।
  11. प्रणीताविमोक : प्रणीता को अपने आगे अग्नि के पश्चिमभाग में रखकर पवित्री-उपयमन कुशादि धारणपूर्वक इस मंत्र द्वारा सिर को सिक्त करे – ॐ सुमित्रिया न आप ओषधयः सन्तु ॐ आपः शिवाः शिवतमा: शान्ताः शान्ततमास्तास्ते कृण्वन्तु भेषजम् ॥ फिर इस मंत्र से प्रणीता को ईशानकोण में न्युब्ज कर केवल जल गिराए, प्रणीता को पृथ्वी पर उल्टा न रखे केवल जल गिराकर सीधा ही रखे ।
  12. बर्हिहोम : परिस्तरण वाले कुशाओं को उठाकर मोड़ते हुए छोटा गट्ठर (पुल्ली) बनाकर घृताक्त करके इस मंत्र से अग्नि में त्याग करे – ॐ देवा गातु विदो गातु वित्वा गातुमित मनसस्पत इमं देव यज्ञ स्वाहा वातेधाः स्वाहा ॥

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