
दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 12
स्तुति से प्रसन्न होकर देवताओं को बाधानिवारण का वरदान देने के पश्चात् बारहवें अध्याय में भगवती स्वयं ही सप्तशती के पाठ, श्रवण आदि का माहात्म्य बताती हैं। ग्यारहवां अध्याय वास्तव में सप्तशती का माहात्म्य ही है जो स्वयं भगवती द्वारा ही बताया गया है।