सामान्य जन के लिये समंत्रक दुर्गा पूजा की विधि - durga pujan vidhi 02

सामान्य जन के लिये समंत्रक दुर्गा पूजा की विधि – durga pujan vidhi 02

सामान्य जन के लिये समंत्रक दुर्गा पूजा की विधि – durga pujan vidhi 02 : हम बिना मंत्र वाली चर्चा पीछे कर चुके हैं और अब समंत्र विधि को समझने का प्रयास करेंगे। समंत्र विधि का तात्पर्य भी इतना ही है कि न्यूनतम क्या-क्या करें, कैसे करें ?

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सामान्य जन के लिये दुर्गा पूजा की विधि - durga pujan vidhi 01

सामान्य जन के लिये दुर्गा पूजा की विधि – durga pujan vidhi 01

सामान्य जन के लिये दुर्गा पूजा की विधि – durga pujan vidhi 01 : यदि सभी विद्वान ब्राह्मण के द्वारा विधि-पूर्वक कराना चाहें भी तो उतनी संख्या में ब्राह्मण उपलब्ध हो ही नहीं सकते और इसीलिये यह आवश्यक हो जाता है कि जो स्वयं ही करना चाहें उनकी भी एक सामान्य विधि हो जिसमें बिना मंत्रों के भी पूजा आदि की जाय। यहां इसी विषय को समझने का प्रयास किया गया है।

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नवरात्रि में दुर्गा पूजा की महत्वपूर्ण जानकारी - durga upasana

नवरात्रि में दुर्गा पूजा की महत्वपूर्ण जानकारी – durga upasana

नवरात्रि में दुर्गा पूजा की महत्वपूर्ण जानकारी – durga upasana : नवरात्रि व्रत कहें, माता दुर्गा की पूजा कहें, श्री दुर्गा सप्तशती पाठ, नवार्ण मंत्र जप आदि की यदि बातें करें तो अनेकों महत्वपूर्ण तथ्य होते हैं जिसके बारे में शास्त्र-सम्मत ज्ञान का होना आवश्यक है और यहां हम इन विषयों को संक्षेप में समझने का प्रयास करेंगे।

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नवरात्रि कब है - navratri kab hai 2025

नवरात्रि कब है – navratri kab hai 2025

नवरात्रि कब है – navratri kab hai 2025 : वर्ष में चार नवरात्रायें होती हैं जो आश्विन, माघ, चैत्र और आषाढ मासों के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी दिन तक का होता है। इस आलेख में नवरात्रा 2025 के विषय में पूरी जानकारी दी गयी है, इसके साथ ही नवरात्रा के महत्व, नवरात्रा व्रत के नियम, नवरात्रा की कथा आदि के बारे में भी चर्चा की गयी है।

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विजयादशमी : दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजा

विजयादशमी : दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजा

विजयादशमी : दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजा : आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होने वाली शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल दशमी को संपन्न होती है। आश्विन शुक्ल दशमी को विजयादशमी भी कहा जाता है, दशहरा भी कहा जाता है और यात्रा भी। विजयादशमी के दिन भगवती दुर्गा, कलश आदि का विसर्जन किया जाता है, अपराजिता पूजा की जाती है, जयंती धारण किया जाता है।

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दुर्गा पूजा : कुष्मांड बलि विधि

कुष्मांड बलि विधि – bali 2

कुष्मांड बलि विधि : पशुबलि का विधान सबके लिये नहीं है, जैसे वैष्णव व ब्राह्मणों के लिये पशुबलि का निषेध है किन्तु चण्डी की अर्चना में बलि अनिवार्य है इस कारण वैष्णव व ब्राह्मण जब चण्डी की अराधना करें तो उनके लिये पशुबलि के स्थान पर कूष्मांडबलि का विधान शास्त्रों में बताया गया है।

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नवरात्र हवन विधि

नवरात्रि हवन विधि मंत्र PDF सहित : तिथि 9वीं हवन

नवरात्रि हवन विधि मंत्र PDF : हवन कर्मकांड का वो भाग है जिसमें देवता को आहुति रूपी भोजन प्रदान किया जाता है। हवन करने वाले को यह अनिवार्य रूप से ध्यान रखना चाहिये कि जो आहुति दी जा रही है उसे देवता अस्वीकार न करें। शारदीय नवरात्रि हो अथवा चैत्र नवरात्रि अथवा गुप्त नवरात्रि सबमें हवन की समान विधि ही होती है

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महानवमी त्रिशूलिनी पूजा

महानवमी त्रिशूलिनी पूजा – Puja No. 9

महानवमी त्रिशूलिनी पूजा : महानवमी के दिन सामान्य पूजा के अतिरिक्त तीन कर्म पाये जाते हैं : प्रथम त्रिशूलिनी पूजा, द्वितीय हवन, तृतीय सायंकृत्य। इसके साथ ही एक और मुख्यकर्म बलिदान भी पाया जाता है। महासप्तमी और महाष्टमी के दिन सामान्य बलि विधान कृताकृत है किन्तु महानवमी के दिन कृत्य है। महानवमी के दिन ब्राह्मण वर्ण के अतिरिक्त अन्य वर्णों के लिये बलिकर्म कृत्य कर्म है कृताकृत सिद्ध नहीं होता है।

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महाष्टमी पूजा, निशापूजा विधि, देवी जागरण

महाष्टमी निशापूजा, देवी जागरण – Navratri 8

नवरात्र में निशीथव्यापिनी अष्टमी को महानिशापूजा होती है। इसी को जगरना या देवी जागरण आदि भी कहा जाता है। यह प्रायः उदयव्यापिनी सप्तमी के दिन ही प्राप्त होता है तथापि यह आवश्यक नहीं है। उदयव्यापिनी अष्टमी भी निशीथव्यापिनी हो सकती है। जब उदयव्यापिनी अष्टमी ही निशीथव्यापिनी भी होती है तब अगले दिन निशापूजा किया जाता है।

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दुर्गा पूजा : पत्रिकाप्रवेश विधि, महासप्तमी पूजा, नवपत्रिका पूजा

पत्रिकाप्रवेश : नवपत्रिका पूजा, महासप्तमी पूजा – 9 patrika puja

सप्तमी के दिन किये जाने वाले पूजा को पत्रिकाप्रवेश : नवपत्रिका पूजा, महासप्तमी पूजा – पत्रिका प्रवेश और महासप्तमी पूजा कहा जाता है। यहां बिल्वानयन, पत्रिकाप्रवेश, नवपत्रिका पूजन और महासप्तमी पूजन विधि एवं मंत्र दिये गये हैं।

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