मैत्र सूक्त अर्थात सूर्य सूक्त

मैत्र सूक्त अर्थात सूर्य सूक्त

-मित्र भगवान सूर्य का नाम है, और भगवान सूर्य के सूक्त का नाम ही मैत्रसूक्त है।
-भगवान सूर्य की स्तुतियों वाली वैदिक ऋचाओं का समूह मैत्र सूक्त कहलाता है।
-रुद्राष्टाध्यायी का चतुर्थ अध्याय ही मैत्र सूक्त है।
-मैत्रसूक्त भी विशेष महत्वपूर्ण सूक्त है और इसलिए इसे भी रुद्राष्टाध्यायी में संग्रहित किया गया है।

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पवमान सूक्त – यजुर्वेदोक्त, विभिन्न यज्ञ, पूजा, पाठ आदि कर्मकांड के लिये विशेष महत्वपूर्ण सूक्त

पवमान सूक्त – यजुर्वेदोक्त, विभिन्न यज्ञ, पूजा, पाठ आदि कर्मकांड के लिये विशेष महत्वपूर्ण सूक्त

पवमान सूक्त यज्ञ में महत्वपूर्ण है। यह सामग्री को पवित्र करता है और जल प्रोक्षण में उपयोग होता है। ऋग्वेद में इसका वर्णन है। इसमें देवों की पूजा और अनुष्ठान का विवरण है।

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