देश का विकास और शांति के लिये चाहिये एक नया कानून – जैसे को तैसा …

वास्तविक न्याय भी उसी को कहा जा सकता है जिसका मूल सिद्धांत “जैसे को तैसा” हो। न्याय तंत्र का ध्येय ये होना कि अपराध होने के बाद ही हम सक्रिय होंगे लेकिन अपराध रोकने के लिये हम सक्रिय नहीं हो सकते और सरकार/प्रशासन/समाज सबके हाथ भी बांध देंगे ताकि अपराध हो जिससे हमारा (न्याय तंत्र) औचित्य, प्रभाव, शक्ति बढ़ता जाये उचित नहीं है।

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