
समावर्तन संस्कार – samavartan sanskar
समावर्तन संस्कार – सामान्य जन एक ही दिन में उपनयन के उपरान्त प्रतीकात्मक रूप से वेदारम्भ और पारायणरहित ही समावर्तन करते हैं।
समावर्तन संस्कार – सामान्य जन एक ही दिन में उपनयन के उपरान्त प्रतीकात्मक रूप से वेदारम्भ और पारायणरहित ही समावर्तन करते हैं।
वेदारम्भ संस्कार – वेदाध्ययन का मूल स्वरूप गुरुकुल में आचार्य से दीक्षित होकर ब्रह्मचर्यधारण पूर्वक सभी नियमों का पालन करते हुये वेदाध्ययन करना है। सामान्य जनों की वेदाध्ययन से निवृत्ति हो गयी है।
उपनयन संस्कार (upnayan sanskar) – उपनयन के द्वारा इन तीनों वर्णों का नया जीवन आरम्भ होता है जिसमें गायत्री, वेद, यज्ञ आदि का अधिकार प्राप्त होता है। उपनयन होने के बाद ही उपनीत को श्रौत और स्मार्त कर्म का अधिकार प्राप्त होता है।
उपनयन संस्कार विधि – यद्यपि उपनयन एक ही संस्कार है तथापि युगव्यवस्था से उपनयन में एक साथ 4 संस्कार सम्पन्न किया जाता है :- चूडाकरण, उपनयन, वेदारंभ व समावर्तन ।