उपनयन संस्कार विधि – वाजसनेयी

उपनयन संस्कार विधि – वाजसनेयी

अनुशासन

अन्वारब्ध आज्याहुतीर्हुत्वा प्राशनान्तेऽथैनं संशास्ति ब्रह्मचार्यस्यपोशान कर्म कुरु मा दिवा सुषुप्था वाचं यच्छ समिधमाधेह्यपोशानेति : तदुत्तर आचार्य बरुआ अनुशासित करें अर्थात अनुशासन सिखायें –

  1. आचार्य कहें : “ॐ ब्रह्मचार्यसि” प्रत्युत्तर में बरुआ कहे : “ॐ असानि”
  2. आचार्य कहें : “ॐ अपोऽशान” प्रत्युत्तर में बरुआ कहे : “ॐ अश्नानि”
  3. आचार्य कहें : “ॐ मा दिवा सुषुप्थाः” प्रत्युत्तर में बरुआ कहे : “ॐ न स्वपानि”
  4. आचार्य कहें : “ॐ वाचं यच्छ” प्रत्युत्तर में बरुआ कहे : “ॐ यच्छानि”
  5. आचार्य कहें : “ॐ समिधमाधेहि” प्रत्युत्तर में बरुआ कहे : “ॐ आदधानि”
  6. आचार्य कहें : “ॐ अपोऽशान” प्रत्युत्तर में बरुआ कहे : “ॐ अश्नानि”

मंत्र दीक्षा

  1. प्रथम बार में तीनों पाद अलग-अलग करके यथा – “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं”, “भर्गोदेवस्य धीमहि”, “धियो यो नः प्रचोदयात् ()
  2. द्वितीय बार में दो पाद करके पढायें : “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि“, “धियो यो नः प्रचोदयात् ()”
  3. तदुत्तर एक बार में पढायें (यदि बरुआ साथ-साथ पढ़े तो उत्तम) : “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ()”

समिधा होम

अत्र समिदाधानम् : तदुत्तर बरुआ आचार्य के दाहिने पूर्वाभिमुख होकर अगले पांच मंत्रों से घृताक्त पांच समिधाओं की आहुति प्रदान करे :

  1. ॐ अग्ने सुश्रवः सुश्रवसं मा कुरु ॥
  2. ॐ यथा त्वमग्ने सुश्रवः सुश्रवा असि ॥
  3. ॐ एवं मा ᳪ सुश्रवः सौश्रवसं कुरु ॥
  4. ॐ यथा त्वमग्ने देवानां यज्ञस्य निधिपा असि ॥
  5. ॐ एवमहं मनुष्याणां वेदस्य निधिपो भूयासम् ॥

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