यदि आप विवाह का pdf जिसमें वरार्चन से आरम्भ करके आशीर्वाद प्रदान करने तक की विधि और मंत्र दी गयी है तो यहां क्लिक करें – विवाह विधि pdf
प्रश्नोत्तरी
यहां विवाह से सम्बंधित कुछ विशेष महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर दिये गये हैं जो ज्ञानवर्द्धक हैं और जानने योग्य हैं। इन प्रश्न्नोत्तरों के माध्यम से विवाह को अधिक अच्छे से जाना और समझा जा सकता है।
F & Q :
प्रश्न : विवाह की परिभाषा क्या है?
उत्तर : विवाह षोडश संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है जिससे गृहस्थ जीवन का आरम्भ होता है। पुरुष और स्त्री अकेले होने पर 1 नहीं होते अपितु विवाह के बाद दोनों मिलकर पूर्ण अर्थात एक होते हैं।
प्रश्न : विवाह का क्या महत्व है?
उत्तर : विवाह करने से ही गृहस्थ जीवन का आरम्भ होता है, पुरुषार्थत्रय की सिद्धि में सहयोग मिलता है। संतान की प्राप्ति की जा सकती है।
प्रश्न : शादी का मतलब क्या होता है?
उत्तर : शादी शब्द न तो विवाह का पर्यायवाची है न ही समानार्थी। शादी कर अर्थ दो उभयलिंगी व्यक्ति का प्रसन्नतापूर्वक संयोग होना होता है किन्तु शादी के उद्देश्य विवाह के समान नहीं होते।
प्रश्न : विवाह क्या होना चाहिए?
उत्तर : विवाह में प्रथमतया वर और कन्या दोनों की परस्पर सहमति होनी चाहिये। फिर वाग्दान, वरवरण, वरार्चन, कन्यादान, हवन, सप्तपदी, सिंदूरदान, आशीर्वाद, चतुर्थी कर्म आदि होना चाहिये।
प्रश्न : विवाह के नियम क्या है?
उत्तर : विवाह के नियम हैं विधि पूर्वक कन्यादान करना, वर का स्वीकार करना, हवन करना, कन्या को अभिषिक्त और दोषरहित करना, सप्तपदी करके अपने मैत्री करना, सिंदूरदान करना आदि।
प्रश्न : विवाह करने से क्या लाभ है?
उत्तर : विवाह करने से पूर्णत्व की प्राप्ति होती है। पुरुषार्थ सिद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। संतान की प्राप्ति होती है।
प्रश्न : विवाह के तीन उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर : विवाह के तीन उद्देश्य इस प्रकार हैं :
- गार्हस्थ जीवन का आरम्भ करना।
- पुरुषार्थ सिद्धि का प्रयास करना।
- संतानोत्पत्ति करना।
प्रश्न : विवाह के 5 कार्य कौन से हैं?
उत्तर : विवाह के मुख्य 5 कार्य हैं – वाग्दान (सगुण), वरवरण (हस्तग्रहण/तिलक), वरार्चन (वर की पूजा करना), कन्यादान और हवन करना।
प्रश्न : विवाह कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर : शास्त्रों में विवाह के 8 प्रकार बताए गए हैं – ब्रह्म, दैव, आर्ष, प्राजापत्य, असुर, गन्धर्व, राक्षस और पैशाच विवाह। ब्रह्मो दैवस्तथैवार्षः प्रजापत्यस्तथाऽसुरः । गान्धर्वो राक्षसश्चैव पैशाचश्तमोऽधामः ॥ – मनुस्मृति 3.21
प्रश्न : विवाह का उपहार क्या है?
उत्तर : विवाह का तात्पर्य है एक नये दम्पत्ति का नया गार्हस्थ जीवन आरम्भ करना। एक नये गार्हस्थ जीवन को आरम्भ करने के लिये जीवन यापन हेतु बहुत सारी सामग्रियों की आवश्यकता होती है। पति-पत्नी विवाह पूर्व किसी अन्य परिवार का सदस्य होता है उस समय उसी परिवार के सामग्रियों का उपयोग करता है।
किन्तु जब विवाह से एक नये परिवार का निर्माण होता है तो नवदंपत्ति को उपयोगी सामग्रियों की भी आवश्यकता होती है। वधू को वस्त्राभूषण की आवश्यकता होती है। ये सभी वस्तुयें परिवार सदस्यों द्वारा प्रदान किये जाते हैं और इसी को तिलक कहा जाता है। दहेज न तो सनातन का शब्द है न ही अंग है। अतः तिलक और दहेज को एक नहीं समझना चाहिये।
प्रश्न : विवाह के देवता कौन हैं?
उत्तर : विवाह में वर को विष्णुस्वरूप माना जाता है। किन्तु विवाह के देवता प्रजापति हैं। कन्यादान के समय विवाह के देवता का उल्लेख करते हुये प्रजापति दैवतं का उल्लेख किया जाता है।
प्रश्न : शादी में कौन से मंत्र पढ़े जाते हैं?
उत्तर : शादी न तो विवाह का पर्यायवाची है न ही समानार्थी। शादी सनातन का कर्मकाण्ड नहीं है। अतः शादी में कोई मंत्र नहीं पढ़ा जाता है।
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कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।