संध्या तर्पण विधि

संध्या तर्पण विधि

संध्या तर्पण विधि : शारीरिक शुद्धि अर्थात शुचिता के बाद नित्यकर्म में संध्या, तर्पण, पंचदेवता व विष्णु पूजन का क्रम आता है। संध्या तो त्रैकालिक होती है अर्थात प्रातः, मध्यान और सायाह्न तीनों कालों में करणीय है, किन्तु तर्पण व पंचदेवता विष्णु पूजन प्रातः का ही नित्यकर्म है ये दोनों त्रैकालिक नहीं हैं।

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नित्यकर्म विधि – भाग ३, शुचिता

नित्यकर्म विधि – भाग ३, शुचिता

यहाँ शुचिता के महत्त्व एवं विधान के विषय में जानकारी दी गई है। शरीर और आत्मा की शुद्धता बनाए रखने के लिए शौच, दन्तधावन, स्नान जैसे विधियों का पालन करना आवश्यक है। इसमें दिशा, वस्त्र-यज्ञोपवीत एवं स्नान के नियम तथा महत्वपूर्ण विधियाँ सम्मिलित हैं। इससे स्पष्ट होता है कि शुचिता का पालन करना शारीरिक और आत्मिक शुद्धता के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

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प्रातः स्मरण मंत्र - प्रातः वंदना

क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि

प्रातः स्मरण मंत्र – प्रातः वंदना : यह पोस्ट ब्रह्ममुहूर्त में उठने, अपना स्वर जाँचने, करदर्शन, पृथ्वी से क्षमा और गण्डूष के नियम जैसी प्रातः कृत्यों की महत्ता पर बात करता है। इसमें वर्णित है कि ब्रह्ममुहूर्त रात्रि का चौथा पहर होता है और इसका काल सूर्योदय से 3 घंटे पहले शुरू होता है और ३६ मिनट पहले समाप्त होता है। यह पोस्ट विशेषरूप से प्रातःरिति और धार्मिक अभ्यासों की प्रामाणिकता एवं महत्व को स्पष्ट करने में सहायक होती है।

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नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र – Nitya Karm Puja

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र – Nitya Karm Puja : यह लेख नित्यकर्म और उनके महत्व के बारे में है। यह बताता है कि नित्यकर्म मानव जीवन के दोषों को मार्जित करने और उत्तरदायित्वों को निभाने के लिए आवश्यक होते हैं। ऐसे कर्म, जो शास्त्रोक्त विधि के अनुसार प्रतिदिन किये जाते हैं, नित्यकर्म कहलाते हैं। ये न केवल सामान्य नित्यकर्म होते हैं, बल्कि मनुष्यत्व के सार्थकता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

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