सिद्धिविनायक पूजा विधि और मंत्र – siddhivinayak puja

सिद्धिविनायक पूजा विधि और मंत्र – siddhivinayak puja

भाद्र शुक्ल चतुर्थी को सिद्धिविनायक की पूजा की जाती है। पूजा के लिये मध्याह्नकाल को प्रशस्त बताया गया है। यह तिथि वर्ष में एक बार ही उपलब्ध होती है किन्तु यदि भक्तिभाव हो तो अन्य दिनों में भी सिद्धिविनायक की पूजा की जा सकती है।

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चौरचन पूजा विधि मंत्र

चौरचन पूजा विधि मंत्र

पूजा से पहले नित्यकर्म किया जाता है। चौरचन पूजा यद्यपि पुरुष भी कर सकते हैं तथापि अधिकांशतः स्त्रियां ही करती है। स्त्रियों के लिये नित्यकर्म का तात्पर्य पंचदेवता व गौरी पूजा है। पूजा सूर्यास्त के बाद होती है इसलिये गणपत्यादि पंचदेवता और गौरी की पूजा करे। विधवा स्त्री गणपत्यादि पंचदेवता व विष्णु पूजा करे। तत्पश्चात संकल्प करके चतुर्थी चंद्र पूजा करे।

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चौरचन पूजा कब है 2024 : चतुर्थी (चौथ) चंद्र निर्णय

इस प्रकार दृश्य व अदृश्य दोनों पंचांगों के आधार पर प्रदोषकालीन चतुर्थी 6 सितम्बर 2024 शुक्रवार को उपलब्ध है और चतुर्थी चंद्र या चौरचन व्रत होना सिद्ध होता है। पंचांगों में भी इसी दिन चौरचन व्रत पूजा बताया गया है।

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हरितालिका तीज पूजा विधि और कथा

पूजा का काल प्रदोषकाल ही होता है अतः प्रदोषकाल में ही पूजा करे। पवित्रीकरणादि करके सर्वप्रथम संकल्प करे। यदि चौदह वर्षों तक ही करना हो तो प्रथम वर्ष चौदह वर्ष करने का संकल्प करे, अन्य वर्षों में संकल्प करे। यदि 14 वर्ष से अधिक भी करना हो तो 14 वर्षों वाला संकल्प प्रथम वर्ष न करे।

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हरितालिका तीज पूजा विधि और कथा

तीज त्यौहार : हरितालिका तीज का महत्व व व्रत-पूजा विधि

जैसे दिन में आँखें मूंद लेने से रात नहीं हो जाती उसी तरह सत्य को नकारने मात्र से वह असत्य नहीं हो जाता। विधवा का नयी व्यवस्थानुसार पुनर्विवाह कर देने से जीवन में व्यस्तता तो आ जाती है किन्तु वैधव्य का दुःख समाप्त नहीं होता। हरितालिका तीज व्रत वैधव्य निवारण के लिये किया जाता है।

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तीज कब है 2024, हरतालिका तीज कब है

हरितालिका तीज के संबंध में दृश्य और अदृश्य में पंचांगों में तिथि काल में 3 घंटे का अंतर होते हुये भी दोनों ही प्रकार से 5 सितम्बर 2024 गुरुवार को द्वितीयायुता तृतीया है एवं 6 सितम्बर शुक्रवार को चतुर्थीयुता तृतीया है। 2024 में सभी प्रकार के पंचांगों से विचार करने पर भी 6 सितम्बर शुक्रवार को ही हरितालिका तीज व्रत सिद्ध होता है।

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कृष्ण जन्माष्टमी कब है ? जन्माष्टमी 2024

कृष्ण जन्माष्टमी कब है ? जन्माष्टमी 2024

वेधसिद्ध अर्थात दृश्य पंचांगों द्वारा 26 अगस्त 2024 सोमवार को ही औदयिक व निशीथव्यापिनी दोनों अष्टमी उपलब्ध है, 27 अगस्त को तनिक भी नहीं है इस कारण 26 अगस्त सोमवार को ही जन्माष्टमी व्रत की सिद्धि होती है।

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रक्षाबंधन निर्णय 2024

रक्षाबंधन निर्णय 2024 : रक्षाबंधन कब करें विस्तृत जानकारी

यह सिद्ध होता है कि रक्षाबंधन व होलिका में भद्रा का पूर्ण त्याग करना चाहिये बिना किसी परिहार का विचार किये। चूंकि 19 अगस्त 2024 को भद्रा की समाप्ति 1:32 बजे मध्याह्न में हो रही है अतः मध्याह्न 1:32 के पश्चात् ही रक्षाबंधन करना चाहिये।

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श्री राम नवमी व्रत कथा - ram navami vrat vidhi

श्री राम नवमी व्रत कथा – ram navami vrat vidhi

श्री रामनवमी व्रत से जितना पुण्य प्राप्त होता है उतना पुण्य कठिन तपस्या करने से भी प्राप्त नहीं होता। श्री रामनवमी व्रत से जितना पुण्य प्राप्त होता है उतना पुण्य पूरी पृथ्वी दान करने से भी नहीं होता।

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रामनवमी पूजा विधि और मंत्र संस्कृत में – Ram navami puja vidhi

रामनवमी पूजा विधि और मंत्र संस्कृत में – Ram navami puja vidhi

कुलकोटि समुद्धरण पूर्वक भूरिदक्षिणानेकयज्ञ जन्यफल समफल दुष्करानेकतपोजन्यफल समफल द्वारकाधिकरण कपिलगवी कोटि दानजन्यफल समफल धरादानजन्यफल समफल बहुजन्मार्जितैकाददश्युपवास जन्य फल समफल प्राप्तिपूर्वकाऽनन्तकालिक विष्णु लोकमहितत्व कामनया साङ्गसायुधसपरिवार श्रीरामचन्द्रपूजनमहं करिष्ये ॥

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