महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र – अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र – अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र एक बहुत ही सुंदर स्तोत्र है जिसे भगवती की अर्चना में लयपूर्वक पढ़ा जाता है। इसका प्रयोग पुष्पांजलि हेतु भी किया जा सकता है। महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र में कुल २२ श्लोक मिलते हैं। इस आलेख में महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित दिया गया है। इसके साथ ही भगवती के अनेकों अन्य स्तोत्रों के अनुगमन पथ भी दिये गये हैं जिसका अनुसरण करते हुये अन्य स्तोत्रों का भी अवलोकन करना सरल हो जाता है।

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देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् – देवी अपराध क्षमापन स्तोत्र

देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् – देवी अपराध क्षमापन स्तोत्र

इसका प्रार्थना का भाव इतना गंभीर है कि कुटिल जीव का भी हृदय द्रवित हो जाये। फिर जो माता स्वभावतः भक्तों के ऊपर दया करने को आतुर रहती है उनके लिये तो कहना ही क्या ?

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दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला – दुर्गा के 32 नाम

दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला – दुर्गा के 32 नाम

यह रहस्य अत्यंत गोपनीय और दुर्लभ हैं। मेरे बत्तीस नामों की माला सब प्रकार की आपत्ति का विनाश करने वाली हैं। तीनों लोकों में इस के समान दूसरी कोई स्तुति नहीं हैं। यह रहस्यरूप हैं।

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दुर्गा मानस पूजा अर्थ सहित

दुर्गा मानस पूजा अर्थ सहित

मानस पूजा उत्तम प्रकार है। अपने इष्ट का मन में ध्यान करके उनके मानस पूजा स्तोत्र का पाठ करते हुये मन में ही पूजा के विभिन्न दिव्य उपचारों (आसन, पाद्य, अर्घ्य आदि) की कल्पना करके अर्पित की जाती है। मानस पूजा में किसी वस्तु की नहीं केवल भाव की आवश्यकता होती है।

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क्षमा प्रार्थना मंत्र

क्षमा प्रार्थना मंत्र

क्षमा प्रार्थना का तात्पर्य है अपने अपराधों (गलतियों) के लिये क्षमा याचना की विनती करना। यहां दिये गये क्षमा प्रार्थना में एक मंत्र “आवाहनं न जानामि” का प्राकारांतर भी दिया गया है एवं एक अतिरिक्त मंत्र “प्रसीद भगवत्यम्ब” भी दिया गया है।

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कीलक स्तोत्र मंत्र – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

कीलक स्तोत्र मंत्र – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

जैसे कोई भी फाइल लॉक है तो उसे पढ़ने के लिये अनलॉक करने की आवश्यकता होती और अनलॉक करने के लिये पासवर्ड की आवश्यकता होती है। यदि पासवर्ड (उत्कीलन विधा) नहीं पता हो तो उस फाइल को खोला नहीं जा सकता।
कीलक स्तोत्र का महत्व समझाने के लिये ये वैकल्पिक उदहारण है जो पूर्ण सटीक कदापि नहीं हो सकता किन्तु समझने में सहयोग अवश्य कर सकता।

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अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

जिनके जीवन में असफलता, विवादादि में पराजय, अपयश की प्राप्ति, शत्रुओं से परेशानी, विवाह में विलम्ब इत्यादि अनेक प्रकार की समस्यायें होती हैं उनके लिये नित्य अर्गला स्तोत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है। अर्गला स्तोत्र के पाठ से पहले यदि कवच का पाठ भी किया जाय तो विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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दुर्गा कवच स्तोत्र

दुर्गा कवच स्तोत्र – दुर्गा कवच संस्कृत

दुर्गा कवच स्तोत्र – दुर्गा कवच संस्कृत : ॐ अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, चामुण्डा देवता, अङ्गन्यासोक्तमातरो बीजम्, दिग्बन्ध देवतास्तत्त्वम्, श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ॥

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