धान्याधिवास विधि
तिल-जलादि लेकर संकल्प करे :
- संकल्प मंत्र : ॐ अद्यादि ……………………… प्रतिष्ठाङ्गगत्वेन प्रतिमासंशुद्ध्यर्थं ममगृहे प्रचुरधान्यपुत्र-पौत्रादिसुखसम्पत्यादि अभिवृद्धयर्थं धान्याधिवासं करिष्ये ॥
- लीपे हुये धान्याधिवास भूमि पर अष्टदल बना ले।
- रक्षोघ्न सूक्त का पाठ करके भूमि पर पीली सरसों छिड़के ।
- फिर भूमि पूजन करे : ॐ भूम्यै नमः।
- २८ कुशाओं का कूर्च (गठरी) बनाकर धान्याधिवास भूमि पर ॐ पवित्रेष्थो मंत्र से रखे।
- ॐ धान्यमसि मंत्र से सप्तधान्य बिखेरे। (धान्य की एक परत बना ले) – ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्वो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धान्देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि॥
- वायव्यकोण में कुंकुमादि से क्षेत्रपाल लिखकर क्षेत्रपाल की पूजा ॐ क्षेत्रपालाय नमः मंत्र से करके बलि दे।
- चारों ओर कलश स्थापित करके दशदिक्पाल की पूजा करे।
- फिर धान्य पर पूर्व या दक्षिण सिर के अनुसार काष्ठ (शमी) पीठ रखकर वस्त्र से आच्छादित कर दे। पुनः वस्त्र पर धान्य बिखेरे : ॐ व्व्रीहयश्च्च मे यवाश्च्च मे माषाश्च्च मे तिलाश्च्च मे मुद्गाश्च्च मे खल्ल्वाश्च्च मे प्रियङ्गवश्च्च मेऽणवश्च्च मे श्यामाकाश्च्च मे नीवाराश्च्च मे गोधूमाश्च्च मे मसूराश्च्च मे यज्ञेन कल्प्पन्ताम् ॥
- पवमान सूक्त पाठ करे।
- प्रतिमाओं को स्नान कराकर कुशा एवं सूखे कपड़े से मार्जन करे : ॐ प्रत्युष्ट रक्ष: प्रत्युष्टाऽअरातयो निष्टप्त रक्षो निष्टप्ताऽअरातय: । अनिशितोसि सपत्नक्षिद वाजिनं त्वा वाजेध्यायै सम्मार्ज्मि । प्रत्युष्ट रक्ष प्रत्युष्टाऽ अरातयो तिष्टप्त रक्षो निष्टप्ताऽ अरातय: । अनिशितासि सपत्नक्षिद् वाजिनं त्वा वाजेध्यायै सम्मार्ज्मि ॥
- पञ्चोपचार पूजन करके प्रतिमाओं को सकुश-वस्त्रावेष्टित करे।
- फिर वैदिक सूक्तों का पाठ, मंगलगान, वाद्य आदि बजाते हुये सभी प्रतिमाओं को ज्येष्ठक्रम से पीठ पर लिटाकर धान्यों से ढंक दे।
- फिर देवता का सूक्त-स्तोत्रादि पाठ करके दक्षिणा दे।
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