दिग्रक्षण : रक्षा विधान मंत्र या भूतोत्सारण, संक्षिप्त नित्यकर्म सहित, दिग्बंधन विधि

दिग्रक्षण-विधि

नित्यकर्म यद्यपि पूर्व ही करना चाहिए तथापि नहीं किया गया हो तो संध्या (अथवा न्यूनतम १० बार गायत्री जप) करके पञ्चदेवता व विष्णुपूजन करे ।

पञ्चदेवता व विष्णु पूजा विधि

पंञ्चदेवता पूजन : 

अक्षत : इदं अक्षतं ॐ सूर्यादि पञ्चदेवता: इहागच्छत इह तिष्ठत ॥
जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयानि ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ॥
फूल चंदन :  इदं  सचंदनपुष्पं ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ॥
अक्षत : इदं अक्षतं ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ॥
जल : एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बूल यथाभागनैवेद्यं ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ॥
जल : आचमनीयं पुनराचमनीयम् ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ॥
फूल : पुष्पांजलिं ॐ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ॥
विसर्जन : ॐ सूर्यादि पञ्चदेवता: पूजितास्थ प्रसीदत प्रसन्ना: भवत छमध्वं स्व-स्व स्थानं गच्छत।
(जब दिन में पूजा करें तो सूर्यादि पंचदेवता और रात में गणपत्यादि पंचदेवता की करे, ये मिथिला विधि है।)

विष्णु पूजन मंत्र :

तिल-यव : एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्व: भगवन् श्रीविष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ॥
जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयानि ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
फूल चंदन :  इदं सचंदनपुष्पं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
तिल-यव : एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
तुलसी : एतानि तुलसीदलानि ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
जल : एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बूल यथाभागनैवेद्यं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
जल : आचमनीयं पुनराचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
फूल : पुष्पांजलिं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
विसर्जन : ॐ भूर्भुवः स्व: भगवन् विष्णो पूजितोसि प्रसीद प्रसन्नो भव छमस्व स्व स्थानं गच्छ ॥

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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