दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 4

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 4

चतुर्थ अध्याय को देवी की स्तुति माना जाता है एवं सप्प्तशती पाठ न भी करना हो तो भी चतुर्थ अध्याय द्वारा भगवती की स्तुति की जाती है। देवी द्वारा सेनापतियों सहित महिषासुर का वध होने से त्रस्त देवगण हर्षित हो गये और देवी की स्तुति करने लगे। चतुर्थ अध्याय में देवताओं द्वारा देवी की स्तुति की गयी है और देवी ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने के लिये कथा तो देवताओं ने वरदान मांगा। चतुर्थ अध्याय द्वितीय चरित्र का तीसरा अध्याय है। चतुर्थ अध्याय में उवाचादि सहित कुल ४२ श्लोक हैं जिसमें से ५ उवाच, २ अर्द्धश्लोक और ३५ श्लोक हैं। प्रथम अध्याय से चतुर्थ अध्याय तक श्लोकों की कुल संख्या 259 होती है।

  • इन्द्रादि देवताओं द्वारा देवी की स्तुति
  • चतुर्थ अध्याय में इन्द्रादि देवताओं द्वारा की गई भगवती की स्तुति है जो विशेष महत्वपूर्ण है।
श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

चतुर्थ अध्याय का सारांश :

  • जब देवी ने विशाल सेना के साथ महिषासुर का वध किया तो देवताओं ने भगवती की स्तुति किया।
  • फिर दिव्य पुष्पादि से भगवती का पूजन किया।
  • प्रसन्न होकर भगवती ने वरदान मांगने को कहा।
  • देवताओं ने वरदान मांगा – जब-जब हम आपका स्मरण करें, तब-तब आप हमारी विपत्तियों को हरण करने के लिए हमें दर्शन दिया करो। हे अम्बिके! जो कोई भी तुम्हारी स्तुति करे, तुम उनको वित्त समृद्धि और वैभव देने के साथ ही उनके धन और स्त्री आदि सम्पत्ति बढ़ावे और सदा हम पर प्रसन्न रहें।
  • भगवती “तथास्तु” कहकर अन्तर्धान हो गई।
दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 4

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः सुशांतिर्भवतु सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु

आगे सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के अनुगमन कड़ी दिये गये हैं जहां से अनुसरण पूर्वक कोई भी अध्याय पढ़ सकते है :

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

Leave a Reply