नरसिंह कवच स्तोत्र – narsingh kavach stotra

नरसिंह कवच स्तोत्र - narsingh kavach stotra

दशावतारों में नरसिंह अवतार का विशेष महत्व इसलिये है क्योंकि इसमें नरसिंह भगवान भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हैं और इसके लिये हिरण्यकशिपु को मिले सभी वरदानों की तोड़ निकालकर एक ऐसा स्वरूप धारण करते हैं जो अद्वितीय है और वो है नर व सिंह का संयुक्त स्वरूप। इस प्रकार रक्षा की भावना हो तो भगवान नृसिंह से रक्षा कामना विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है। रक्षा हेतु कवच स्तोत्र का पाठ किया जाता है और इसलिये भगवान नृसिंह के कवच स्तोत्र अर्थात नरसिंह कवच (narsingh kavach) का पाठ विशेष लाभकारी हैं। यहां नरसिंह कवच स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है।

यदि हम नरसिंह कवच स्तोत्र की बात करें तो हमें भगवान नरसिंह के अनेकों कवच देखने को मिलते हैं। मुख्य तीन कवच इस प्रकार हैं :

  1. प्रह्लादप्रोक्त श्रीनृसिंह कवच अथवा श्रीलक्ष्मीनृसिंह कवच
  2. अपमृत्युहर नृसिंह कवच
  3. त्रैलोक्यविजय नृसिंह कवच

यहां क्रमशः तीनों ही कवच दिये गये हैं।

प्रह्लादप्रोक्त श्रीनृसिंह कवच अथवा श्रीलक्ष्मीनृसिंह कवच

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