कलयुगी जीवों की चिंतनीय स्थिति और समस्याओं के कारण कलयुग में जटिल कर्मकांडों (व्रत-यज्ञादि) का संपन्न होना दुष्कर होने के कारण कल्याण प्राप्ति का सरल मार्ग जो शास्त्रों में बताया गया है उसे सत्यनारायण व्रत-पूजा कहा जाता है। ये तथ्य सत्यनारायण व्रत की कथा में भी बताया गया है। सत्यनारायण पूजा के बाद कथा श्रवण और नृत्य-गीत पूर्वक रात्रि जागरण करने का भी विधान बताया गया है, इस कारण सत्यनारायण पूजा में लोग भजन-कीर्तन का भी अनिवार्य रूप से आयोजन करते हैं। यहां काव्यात्मक सत्यनारायण कथा, भजन, आरती आदि दी गयी है जो सोने में सुहागे के समान है।
श्री सत्यनारायण कथा – सुंदर कविता हिंदी में
यह श्री सत्यनारायण कथा की सुंदर कविता हिंदी में है जो जब आंचल रात का लहराए गीत की धुन पर गाया भी जा सकता है। हिंदी कविता के माध्यम से सम्पूर्ण श्री सत्यनारायण कथा प्रस्तुति :
(काव्यात्मक संक्षिप्त सत्यनारायण व्रत कथा)
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स्वर :~ जब आंचल रात का लहराए
दुःख के बादल जब गहराए, कलयुग घनघोर सताने लगे।
कल्याण जो चाहो तुम अपना, श्री सत्यनारायण चरण गहो ॥
प्रारब्ध तो कर्म तुम्हारे हैं, जिसे भोगना ही क्षय करता है
पर प्रभु कृपा हो जाए यदि, तो संकट भी सब टलता है।
कल्याण जो चाहो …
काशीवासी ब्राह्मण दुखिया, भटकता मही भूखा प्यासा।
दरिद्रा जिसके संग रहती है, दुःख जग उसकी कुछ न समझे॥
कल्याण जो चाहो …
भगवान को ब्राह्मण अति प्यारा, मिले वृद्ध रूप धर भूदेवा ।
बताया सत्यनारायण कथा, दुःख मिट जाएंगे मुक्त व्यथा॥
कल्याण जो चाहो …
कष्ट कठिन कटते कलयुग, संकल्प समर्पण साथ सभी।
अगले दिन भिक्षा प्रचूर मिली, आए बंधु बान्धव अचरजी ॥
कल्याण जो चाहो ….
विधिपूर्वक व्रत वंदना वरद, आई वसंत ज्यों गई शरद ।
महिमा महान मनोवांछित मत, दुःख दारुण दुर्दिन दावानल ॥
कल्याण जो चाहो …
मासिक व्रत विप्र निरंतर रत, एक बार लकड़हारा हुआ मत ।
दरिद्र दुःखी पूछा भगवन्, मंदभाग्य हूं प्रभु मैं मनमलिन ॥
कल्याण जो चाहो …
विपदानाशक विधि व्रत वखान, करने का मन ही मन में ठान।
उद्यत उल्लासित उत्साहित, हरि हारि हृदय होकर हर्षित ॥
कल्याण जो चाहो ….
दिन दूसरे दाम दुगूना दिखा, बंधु-बांधव बुलावा बुलवाया।
हुई पूजा सविधि हुए प्रभु प्रसन्न, दिन बदल दिए जो दयानिधान॥
कल्याण जो चाहो ….
राजा उल्कामुख सत्यवादी, नित धरम करम रत होते सुखी ।
भार्या भद्रशीला संग राजा, सागर तट कर रहे प्रभु पूजा ॥
कल्याण जो चाहो …
राजा उल्कामुख सत्यवादी, नित धरम करम रत होते सुखी ।
भार्या भद्रशीला संग राजा, सागर तट कर रहे प्रभु पूजा ॥
कल्याण जो चाहो …
व्यापार भ्रमण बनियां साधु, देखा पूजा जो दिव्य माधव।
संतति इच्छा तब जाग गई, पत्नी लीलावती कथा कही ॥
कल्याण जो चाहो . …
संतान दो हमको हे प्रभु वर, व्रत तेरा करूंगा हरष होकर।
शीघ्र ही कन्या रत्न मिली, नाम कलावती जिसकी रखी॥
कल्याण जो चाहो ….
जब याद दिलाई लीलावती, हो विवाह जब कि कलावती।
करूं धूमधाम से पूजा तब, बोला कृपण था जो साधु अब ॥
कल्याण जो चाहो ….
दिन बीते न पता चला, विवाह कलावती का जो हुआ ।
फिर भी साधु पूजा विसरा, जमाता संग व्यापार गया ॥
कल्याण जो चाहो ….
रैन वसेरा किया जहां, एक चोर संपत्ति छोड़ गया।
राजा चन्द्रकेतु ने चोर मान, दोनों को कारावास दिया॥
कल्याण जो चाहो …
घर में विपदा आई उधर, धन-संपति सब कुछ नष्ट हुआ।
दाने-दाने को तरस गई, मां बेटी दोनों सिसकने लगी॥
कल्याण जो चाहो ….
एक रात कलावती देर से घर, आई तो मां पूछ लिया।
कहां थी अब तक करती क्या, कुछ इधर उधर की तो बात नहीं॥
कल्याण जो चाहो ….
पूजा ठाकुर की देखने में, हुई लेट यही बस सच है मां ।
सत्यनारायण स्वामी हैं रूठे, जिससे दुर्दिन ये आई मां ॥
कल्याण जो चाहो ….
सच है पुत्री भगवन रूठे, तेरे तात अनुग्रह भूल गए ।
करेंगे मन से व्रत उत्तम, कृपासिंधु के वो शरण हुए ॥
कल्याण जो चाहो ……
ठाकुर राजा को दिए सपना, मुक्ति दो चाहो जो हित अपना।
धन मान सहित वापस कर दो, अन्यथा बचेगा तुझे कुछ ना ॥
कल्याण जो चाहो …
उठकर प्रातः पहला किया काम, किया मुक्त देकर दुगुना दाम ।
हर्षित दोनों गृह लौट चले, पथ द्विज गण को करते हुए दान ॥
कल्याण जो चाहो ….
जलपान के हेतु रुके तट पर, लेने जांच मिले दण्डी बनकर।
ठाकुर पूछे नौका में है क्या, टाला दण्डी घास-फूस कहकर॥
कल्याण जो चाहो …..
कुछ काल ही बीता तो देखा, नौका ऊपर को उठने लगी ।
दौड़ा है हुआ ऐसा आखिर क्यों, सर पीट लिया घास-फूस दिखी॥
कल्याण जो चाहो …
जामाता ने समझाया फिर, रोने से है कुछ भी लाभ नहीं।
दण्डी नहीं था जिसे झूठ कहा, चरणों में गिरकर क्षमा मांगी ॥
कल्याण जो चाहो …..
तेरी माया ने किसे छोड़ा प्रभु, पहचान सके न जो हम ठाकुर।
अपराध तो हमसे बहुत हुए, दो क्षमा हमें प्रभु करुणाकर ॥
कल्याण जो चाहो ….
क्षमा मिली तो पूजा करी, नौका फिर घर को आगे बढी।
समीप हुआ तो दूत पठा, आने की सूचना जिसने दी॥
कल्याण जो चाहो …
पूजा में थी दोनों मां बेटी, सूचना पाकर निकल पड़ी।
गलति फिर एक हुई उससे, प्रसाद ग्रहण वो कर न सकी॥
कल्याण जो चाहो …
तट पहुंची तो मिली नाव नहीं, पति भी न दिखे तो पछड़ गिरी।
मां बेटी दोनों रोने लगी, दुर्भाग्य ये कैसी आन पड़ी॥
कल्याण जो चाहो ….
माया किस देव की पता नहीं, मर जाउंगी यदि पति मिला नहीं।
सामर्थ्य जो है वैसी पूजा, करूंगा भगवन् कृपा बरसा॥
कल्याण जो चाहो …
आकाशवाणी तभी हुई, प्रसाद अपमान की सजा मिली ।
पाओ प्रसाद घर जा पहले, यदि चाहती हो पति तुमको दिखे॥
कल्याण जो चाहो ….
इस तरह से फिर पति जिंदा हुआ, हर्षित मन सबने पूजा किया।
साधु हिय भक्ति भाव जगा, फिर जीवन उसका धन्य हुआ ॥
कल्याण जो चाहो …
धर्मात्मा राजा थे तुङ्गध्वज, एक दिन आखेट को वन में गए ।
देखा भील-गोप पूजा करते, न निकट गए न प्रणाम किए ॥
कल्याण जो चाहो ….
पूजा के बाद प्रसाद दिया, न लिया तो निकट में था रख दिया।
अपमान से रुष्ट हुए प्रभु तब, सारी संपत्ति राजा का हरण किया॥
कल्याण जो चाहो …
राजा को कारण पता चला, फिर वन जाकर के प्रसाद पाया ।
था जो राज्य दुबारा उसे मिला, सत्यनारायण भक्त वो भी बना॥
कल्याण जो चाहो …..
शतानन्द जो ब्राह्मण सुदामा बने, सखा कृष्ण के होकर तर वो गए।
लकड़हारा जो था गुहराज हुआ, उल्कामुख राजा दशरथ बने ॥
कल्याण जो चाहो . …
साधु बनियां मोरध्वज राजा, जिसने धर्मार्थ चीर पुत्र दिया ।
स्वायंभुव मनु तुङ्गध्वज राजा, सब गोप पुनः व्रजगोप हुआ ॥
कल्याण जो चाहो ….
सम्पूर्ण सत्यनारायण पूजा विधि का भजन। स्वर :~ गली में आज चांद निकला
सत्य नारायण पूजा करो, मनोरथ पूरन हो ।
थोड़ी पूजा से रीझ जाते हैं, मनोरथ पूरन हो ॥
मुहूर्त बनाने का काम नहीं है, श्रद्धा का होना आसान नहीं है
मन जिस दिन करे व्रत लो । मनोरथ पूरन हो . …
विधि सुनो धर ध्यान से इसकी, मन न हो अभिमान तनिक भी
करो उपवास बस दिन भर का । मनोरथ पूरन हो . …
सवा किलो प्रसाद चूरन की, फल पकवान व मेवा मिठाई
बनाओ प्रेम से शीतल प्रसाद। मनोरथ पूरन हो . …
भांति-भांति सिंहासन सजाओ, शालिग्राम प्रभु को पधराओ
पूजा करो संध्या में शुरू । मनोरथ पूरन हो . …
नित्य कर्म करो सदा निरंतर, संकल्प लो व्रत-पूजा-सुनन कर
शांति कलश बिठाओ फिर। मनोरथ पूरन हो . …
श्री विद्याऽदि अनादि पुरुष की, दश दिक्पाल सूर्यादि नौग्रह की
वैदेही राम लखन पूजो । मनोरथ पूरन हो . …
पूजा करो सत्य नारायण की, सोलह उपचार यथासंभव की
गौरी शंकर अमंत्रक ब्रह्मा। मनोरथ पूरन हो ….
कथा सुनो फिर मन को लगाकर, भजन करो भक्ति भाव से गाकर
आरति विसर्जन फिर। मनोरथ पूरन हो . …
दक्षिणा पूजा की तत्क्षण कर लो, कृपणता तनिक मन में न रखो
चरणामृत प्रसाद पाओ । मनोरथ पूरन हो …..
भक्ति श्रद्धा से ब्राह्मण जिमाओ, अनादर कभी न मन से भी हो
कृपा बरसेगी ठाकुर की । मनोरथ पूरन हो ….
सत्यनारायण भगवान की नई आरती । स्वर :~ तेरा साथ है तो मुझे
सत्यनारायण भगवान की आरती लिखी हुई
लाज रखो प्रभु अब शरण हूं तुम्हारे , सत्यनारायण स्वामी लाज बचा ले ।
महिमा तेरी है भगवन जग में निराली, आरति गाउं तेरी बजाकर के ताली ॥
किया है निहाल सबको अब मेरी बारी, कृपा की दृष्टि डालो हो तारनहारी ।
क्या – क्या सुनाएं तुझको दुःख की कहानी, समझ लो प्रभु तुम हो अंतर्यामी॥
आरति गाउं तेरी बजाकर . ….
कलयुग का जीव हूं मैं मंदमति भारी, ज्ञान विवेक शून्य रोगी दुखियारी ।
काया सक्षम न मैं साधन अनेक हैं, आया शरण तेरे जो दयालु तू एक है॥
आरति गाउं तेरी बजाकर …
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कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।