
देवी अथर्वशीर्ष संस्कृत
देव्यथर्वशीर्ष का सायंकाल में पाठ करने वाला दिन में किये हुए पापों का नाश करता है,
प्रातः काल में पाठ करने वाला रात्री में किये हुए पापों का नाश करता है।
दोनों समय पाठ करने वाला निष्पाप होता है।
मध्यरात्रि में तुरीय संध्या के समय पाठ करने से वाकसिद्धि प्राप्त होती है।