अनन्त व्रत कथा – Anant Vrat Katha
भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को अनंत व्रत – पूजा की जाती है और कथा श्रवण करके अनंत धारण किया जाता है। बात जब कथा श्रवण की आती है तो देववाणी अर्थात संस्कृत का विशेष महत्व व फल होता है।
भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को अनंत व्रत – पूजा की जाती है और कथा श्रवण करके अनंत धारण किया जाता है। बात जब कथा श्रवण की आती है तो देववाणी अर्थात संस्कृत का विशेष महत्व व फल होता है।
संकल्प के उपरांत कलश में जल-गंध-पवित्री-पूगीफल-पल्लवादि देकर पूजन करे। कलश के ऊपर एक स्वर्ण-रजत अथवा ताम्र पात्र में चंदनादि से अष्टदल निर्माण करके रखे। उसपर कुशाओं से सात फनों वाला सर्पाकृति बनाकर रखे। उनके आगे चौदह ग्रंथि वाला अनंत रखे। फिर नवग्रह-दशदिक्पाल आदि का पंचोपचार पूजन करके अनंत भगवान की पूजा करे।