पूजा क्रमावली

कर्मकांड की क्रमावली अर्थात पूजन क्रम, वेदी पूजन क्रम 1.2.3.

पूजा-अनुष्ठान-यज्ञादि संबंधी कर्म में अनेकानेक कर्म होते हैं और उनकी विशेष क्रियाविधि ही नहीं है, विशेष क्रम भी है और क्रम पूर्वक ही करना चाहिये। विस्तृत पूजा-अनुष्ठान-यज्ञ से लेकर सामान्य पूजा संबंधी, वेदी पूजन, क्रमों का इस आलेख में व्यापक वर्णन किया गया है जो कर्मकांड सीखने वालों के लिये बहुत ही उपयोगी है।

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ये कौन लोग मंदिरों में जमे हुये हैं जब-जैसे जो करे पूजा करा देते हैं

किन्तु पुनः प्रश्न है कि ज्ञाननगरी काशी में भगवान विश्वनाथ मंदिर में भी ऐसे ब्राह्मण किस प्रकार जमे हुये हैं जो बिना धोती-धारण किये पूजा करा रहे थे ? अमित शाह ने एक हाथ से प्रणाम किया, तो ब्राह्मणों ने बताया क्यों नहीं कि दोनों हाथ से प्रणाम करें ?

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यद्यपि शुद्धं लोक विरुद्धम्। सही-सही कैसे समझें ?

यद्यपि शुद्धं लोक विरुद्धम्। सही-सही कैसे समझें ?

यद्यपि शुद्धं लोक विरुद्धम्। नाऽचरणीयं नाऽचरणीयं ॥ का अर्थ यद्यपि शुद्ध हो अर्थात सही हो किन्तु लोक विरुद्ध हो अर्थात हानिकारक हो या हानि संभावित हो तो वह वैसा आचरण मत करो वह कर्म मत करो।

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रामनवमी पूजा विधि और मंत्र संस्कृत में – Ram navami puja vidhi

कुलकोटि समुद्धरण पूर्वक भूरिदक्षिणानेकयज्ञ जन्यफल समफल दुष्करानेकतपोजन्यफल समफल द्वारकाधिकरण कपिलगवी कोटि दानजन्यफल समफल धरादानजन्यफल समफल बहुजन्मार्जितैकाददश्युपवास जन्य फल समफल प्राप्तिपूर्वकाऽनन्तकालिक विष्णु लोकमहितत्व कामनया साङ्गसायुधसपरिवार श्रीरामचन्द्रपूजनमहं करिष्ये ॥

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नान्दीमुख श्राद्ध विधि pdf सहित

नान्दी श्राद्ध – षोडश मातृका पूजन, सप्तघृत मातृका पूजन सहित

दाह संस्कार के अतिरिक्त सभी संस्कारों में नान्दीमुख श्राद्ध किया जाता है। इसके साथ ही यज्ञ, प्राण-प्रतिष्ठा आदि कर्मों में नान्दीश्राद्ध आवश्यक होता है। लेकिन जिस प्रकार पवित्रीकरण, संकल्प, सम्पूर्ण कर्मकाण्ड का अनिवार्य प्रारंभिक अंग होता है उस प्रकार से सभी कर्मों में अनिवार्य नहीं होता। जिस प्रकार कलश स्थापन सभी पूजा पाठ में आवश्यक होता है उस प्रकार से नान्दी श्राद्ध सभी शुभ कर्मों में अनिवार्य नहीं है। जैसे सत्यनारायण पूजा करनी हो तो नान्दी श्राद्ध आवश्यक नहीं है।

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दुर्गा मानस पूजा अर्थ सहित

दुर्गा मानस पूजा अर्थ सहित

मानस पूजा उत्तम प्रकार है। अपने इष्ट का मन में ध्यान करके उनके मानस पूजा स्तोत्र का पाठ करते हुये मन में ही पूजा के विभिन्न दिव्य उपचारों (आसन, पाद्य, अर्घ्य आदि) की कल्पना करके अर्पित की जाती है। मानस पूजा में किसी वस्तु की नहीं केवल भाव की आवश्यकता होती है।

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अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

जिनके जीवन में असफलता, विवादादि में पराजय, अपयश की प्राप्ति, शत्रुओं से परेशानी, विवाह में विलम्ब इत्यादि अनेक प्रकार की समस्यायें होती हैं उनके लिये नित्य अर्गला स्तोत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है। अर्गला स्तोत्र के पाठ से पहले यदि कवच का पाठ भी किया जाय तो विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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क्या आप जानते हैं सबसे बड़ा भगवान कौन है - सच कोई नहीं बतायेगा

क्या आप जानते हैं सबसे बड़ा भगवान कौन है ?

सबसे बड़े भगवान के बारे में निर्णय करना अत्यंत कठिन है और अपराध भी है, किन्तु स्वयं के लिये सबसे बड़े भगवान के बारे में जानना अत्यंत सरल है। इस विषय को गंभीरतापूर्वक चिंतन करने, बार-बार विचार करने पर ही समझा जा सकता है केवल एक बार इस अध्याय को पढ़ लेने से नहीं समझा जा सकता।

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शंकराचार्य का कथन १००% सही है – लेकिन राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भी गलत नहीं है

शंकराचार्य का कथन 100% सही है – लेकिन राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भी गलत नहीं है।

कर्मकांड विधि का इस आलेख में मात्र इतना उद्देश्य है कि देशभर के श्रद्धालु रामभक्तों के मन में जो संशय उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है उसका निस्तारण हो सके। प्रलाप करने वालों के लिये समय नष्ट करना भी अनावश्यक है। प्रलाप करने वालों के लिये गोस्वामी तुलसीदास की सर्वोत्तम चौपाई जो उन्हें सचेत करती है वह है : संकर सहस विष्णु अज तोहिं । सकहिं न राखि राम कर द्रोही॥

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