
कैसे करते हैं चतुर्थी का विवाह – chaturthi vidhi
चतुर्थी का विवाह – सम्प्रदाने भवेत्कन्या घृतहोमे सुमङ्गली । वामभागे मवद्भार्या पत्नी चतुर्थीकर्मणि ॥ दान करने मात्र से कन्या, घृतहोम करने के पश्चात् सुमङ्गली, वाम भाग में स्थित होने से भार्या और चतुर्थी कर्म के पश्चात् पत्नी संज्ञा होती है।