नवरात्रि कब है – navratri kab hai

नवरात्रि कब है – navratri kab hai 2024

वर्ष में चार नवरात्रायें होती हैं जो आश्विन, माघ, चैत्र और आषाढ मासों के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी दिन तक का होता है। इस आलेख में नवरात्रा 2024 के विषय में पूरी जानकारी दी गयी है, इसके साथ ही नवरात्रा के महत्व, नवरात्रा व्रत के नियम, नवरात्रा की कथा आदि के बारे में भी चर्चा की गयी है।

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देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् – देवी अपराध क्षमापन स्तोत्र

देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् – देवी अपराध क्षमापन स्तोत्र

इसका प्रार्थना का भाव इतना गंभीर है कि कुटिल जीव का भी हृदय द्रवित हो जाये। फिर जो माता स्वभावतः भक्तों के ऊपर दया करने को आतुर रहती है उनके लिये तो कहना ही क्या ?

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दुर्गा मानस पूजा अर्थ सहित

दुर्गा मानस पूजा अर्थ सहित

मानस पूजा उत्तम प्रकार है। अपने इष्ट का मन में ध्यान करके उनके मानस पूजा स्तोत्र का पाठ करते हुये मन में ही पूजा के विभिन्न दिव्य उपचारों (आसन, पाद्य, अर्घ्य आदि) की कल्पना करके अर्पित की जाती है। मानस पूजा में किसी वस्तु की नहीं केवल भाव की आवश्यकता होती है।

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मूर्ति रहस्य दुर्गा सप्तशती

मूर्ति रहस्य दुर्गा सप्तशती

ॐ नन्दा भगवती नाम या भविष्यति नन्दजा।
स्तुता सा पूजिता भक्त्या वशीकुर्याज्जगत्त्रयम्॥
कनकोत्तमकान्तिः सा सुकान्तिकनकाम्बरा।
देवी कनकवर्णाभा कनकोत्तमभूषणा॥

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वैकृतिक रहस्य – दुर्गा सप्तशती पाठ

वैकृतिक रहस्य – दुर्गा सप्तशती पाठ

ॐ त्रिगुणा तामसी देवी सात्त्विकी या त्रिधोदिता।
सा शर्वा चण्डिका दुर्गा भयहां श्रीदुर्गा सप्तशती के रहस्यत्रयों में से एक वैकृतिक रहस्य दिया गया है। संस्कृत पाठ के साथ-साथ हिंदी में भी दिया गया है एवं अभ्यास हेतु विडियो भी दिया गया है।द्रा भगवतीर्यते॥१॥
योगनिद्रा हरेरुक्ता महाकाली तमोगुणा।
मधुकैटभनाशार्थं यां तुष्टावाम्बुजासनः॥२॥

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प्राधानिक रहस्य

प्राधानिक रहस्य

भगवन्नवतारा मे चण्डिकायास्त्वयोदिताः।
एतेषां प्रकृतिं ब्रह्मन् प्रधानं वक्तुमर्हसि॥१॥
आराध्यं यन्मया देव्याः स्वरूपं येन च द्विज।
विधिना ब्रूहि सकलं यथावत्प्रणतस्य मे॥२॥

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देवी सूक्त संस्कृत – वेदोक्त देवी सूक्त, तंत्रोक्त देवी सूक्त

देवी सूक्त संस्कृत – वेदोक्त देवी सूक्त, तंत्रोक्त देवी सूक्त

सप्तशती पाठ के बाद देवीसूक्त पाठ करना चाहिये। देवीसूक्त भी वेदोक्त और तंत्रोक्त दो प्रकार के हैं। यहां ऋग्वेदोक्त देवीसूक्त और तंत्रोक्त (जो कि श्रीदुर्गासप्तशती का ही है) देवी सूक्त, दोनों दिया गया है।

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दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 12

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 12

स्तुति से प्रसन्न होकर देवताओं को बाधानिवारण का वरदान देने के पश्चात् बारहवें अध्याय में भगवती स्वयं ही सप्तशती के पाठ, श्रवण आदि का माहात्म्य बताती हैं। ग्यारहवां अध्याय वास्तव में सप्तशती का माहात्म्य ही है जो स्वयं भगवती द्वारा ही बताया गया है।

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दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 11

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 11

देवी द्वारा शुम्भ वध के उपरांत दशों दिशाओं में हर्ष व्याप्त हो गया, देवताओं के मुखकमल खिल गये और हर्षित होकर देवताओं ने देवी की स्तुति किया। स्तुति से प्रसन्न होने के बाद देवी ने वर मांगने के लिये कहा तो देवताओं ने सभी बाधाओं को शमन करने के लिये कहा।

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