दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 10

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 10

देवी द्वारा निशुम्भ वध के उपरांत शुम्भ लांछन करता है कि औरों के बल पर आश्रित होकर गर्व करती हो तब देवी कहती है इस अखिल विश्व में एक मैं ही हूँ,

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दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 9

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 9

सभी प्रमुख असुरों की मृत्यु के उपरांत शुम्भ-निशुम्भ विशाल सेना के साथ युद्ध करने आया। भयंकर युद्ध के साथ ही नौवें अध्याय में निशुम्भ वध की कथा है।

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दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 8

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 8

ॐ अरुणां करुणातरङ्‌गिताक्षीं
धृतपाशाङ्‌कुशबाणचापहस्ताम्।
अणिमादिभिरावृतां मयूखै-
रहमित्येव विभावये भवानीम्॥

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दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 5

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 5

ॐ घण्टाशूलहलानि शङ्‌खमुसले चक्रं धनुः सायकं
हस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम्।
गौरीदेहसमुद्भवां त्रिजगतामाधारभूतां महा-
पूर्वामत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम्॥

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दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 3

दुर्गा सप्तशती पाठ अध्याय 3

ॐ उद्यद्भानुसहस्रकान्तिमरुणक्षौमां शिरोमालिकां
रक्तालिप्तपयोधरां जपवटीं विद्यामभीतिं वरम्।
हस्ताब्जैर्दधतीं त्रिनेत्रविलसद्वक्त्रारविन्दश्रियं
देवीं बद्धहिमांशुरत्‍नमुकुटां वन्देऽरविन्दस्थिताम्॥

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दुर्गा सप्तशती अध्याय 2 संस्कृत

दुर्गा सप्तशती अध्याय 2 संस्कृत

ॐ मध्यमचरित्रस्य विष्णुर्ऋषिः, महालक्ष्मीर्देवता, उष्णिक् छन्दः, शाकम्भरी शक्तिः, दुर्गा बीजम्. वायुस्तत्त्वम्, यजुर्वेदः स्वरूपम्, श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्यर्थं मध्यमचरित्रजपे विनियोगः॥

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कीलक स्तोत्र मंत्र – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

कीलक स्तोत्र मंत्र – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

जैसे कोई भी फाइल लॉक है तो उसे पढ़ने के लिये अनलॉक करने की आवश्यकता होती और अनलॉक करने के लिये पासवर्ड की आवश्यकता होती है। यदि पासवर्ड (उत्कीलन विधा) नहीं पता हो तो उस फाइल को खोला नहीं जा सकता।
कीलक स्तोत्र का महत्व समझाने के लिये ये वैकल्पिक उदहारण है जो पूर्ण सटीक कदापि नहीं हो सकता किन्तु समझने में सहयोग अवश्य कर सकता।

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अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

जिनके जीवन में असफलता, विवादादि में पराजय, अपयश की प्राप्ति, शत्रुओं से परेशानी, विवाह में विलम्ब इत्यादि अनेक प्रकार की समस्यायें होती हैं उनके लिये नित्य अर्गला स्तोत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है। अर्गला स्तोत्र के पाठ से पहले यदि कवच का पाठ भी किया जाय तो विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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दुर्गा कवच स्तोत्र

दुर्गा कवच स्तोत्र

ॐ अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, चामुण्डा देवता, अङ्गन्यासोक्तमातरो बीजम्, दिग्बन्ध देवतास्तत्त्वम्, श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ॥

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दुर्गा सप्तशती पाठ – मूल दुर्गा सप्तशती संस्कृत पाठ

दुर्गा सप्तशती पाठ – मूल दुर्गा सप्तशती संस्कृत पाठ

या चण्डी मधुकैटभादिदैत्यदलनी या माहिषोन्मूलिनी
या धूम्रेक्षणचण्डमुण्डमथनी या रक्तबीजाशनी।
शक्तिः शुम्भनिशुम्भदैत्यदलनी या सिद्धिदात्री परा
सा देवी नवकोटिमूर्तिसहिता मां पातु विश्वेश्वरी॥

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