दुर्गा सप्तशती पाठ 1 अध्याय – श्री दुर्गा सप्तशती

दुर्गा सप्तशती पाठ 1 अध्याय – श्री दुर्गा सप्तशती

ॐ नमश्चण्डिकायै – “ॐ ऐं” मार्कण्डेय उवाच ॥१॥ सावर्णिः सूर्यतनयो यो मनुः कथ्यतेऽष्टमः।
निशामय तदुत्पत्तिं विस्तराद् गदतो मम॥२॥

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नवार्ण जप विधि , सप्तशती न्यास – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

नवार्ण जप विधि , सप्तशती न्यास – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

“ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” – यहां प्रणवरहित पक्ष का अवलंबन किया गया है।
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” – कई पुस्तकों में और अधिकतर गीताप्रेस की पुस्तक का प्रयोग होता है इस कारण सप्रणव प्रयोग होता है।

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देवी अथर्वशीर्ष संस्कृत

देवी अथर्वशीर्ष संस्कृत

देव्यथर्वशीर्ष का सायंकाल में पाठ करने वाला दिन में किये हुए पापों का नाश करता है,
प्रातः काल में पाठ करने वाला रात्री में किये हुए पापों का नाश करता है।
दोनों समय पाठ करने वाला निष्पाप होता है।
मध्यरात्रि में तुरीय संध्या के समय पाठ करने से वाकसिद्धि प्राप्त होती है।

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रात्रि सूक्त – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

रात्रि सूक्त – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

वास्तविक सृजन रात्रि की अधिष्ठात्री देवी भुवनेश्वरी के ही हाथों में होता है और जब प्रलय के बाद भगवान भी सो जाते हैं तब भी रात्रि की अधिष्ठात्री देवी जाग्रत रहती है और सृजन कार्य को सम्पादित करती रहती है। ये सृजन सामान्य जीवों में स्पष्टतः दृष्टिगत होता है और विज्ञानसिद्ध भी होता है। कोई भी जीव जब सो रहा होता है तब यही अधिष्ठात्री देवी उसके शरीर का निर्माण (विकास, क्षतिपूर्ति आदि) करती हैं।

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कीलक स्तोत्र मंत्र – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

कीलक स्तोत्र मंत्र – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

जैसे कोई भी फाइल लॉक है तो उसे पढ़ने के लिये अनलॉक करने की आवश्यकता होती और अनलॉक करने के लिये पासवर्ड की आवश्यकता होती है। यदि पासवर्ड (उत्कीलन विधा) नहीं पता हो तो उस फाइल को खोला नहीं जा सकता।
कीलक स्तोत्र का महत्व समझाने के लिये ये वैकल्पिक उदहारण है जो पूर्ण सटीक कदापि नहीं हो सकता किन्तु समझने में सहयोग अवश्य कर सकता।

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अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

अर्गला स्तोत्र संस्कृत में

जिनके जीवन में असफलता, विवादादि में पराजय, अपयश की प्राप्ति, शत्रुओं से परेशानी, विवाह में विलम्ब इत्यादि अनेक प्रकार की समस्यायें होती हैं उनके लिये नित्य अर्गला स्तोत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है। अर्गला स्तोत्र के पाठ से पहले यदि कवच का पाठ भी किया जाय तो विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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दुर्गा कवच स्तोत्र

दुर्गा कवच स्तोत्र

ॐ अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, चामुण्डा देवता, अङ्गन्यासोक्तमातरो बीजम्, दिग्बन्ध देवतास्तत्त्वम्, श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ॥

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दुर्गा सप्तशती पाठ – मूल दुर्गा सप्तशती संस्कृत पाठ

दुर्गा सप्तशती पाठ – मूल दुर्गा सप्तशती संस्कृत पाठ

या चण्डी मधुकैटभादिदैत्यदलनी या माहिषोन्मूलिनी
या धूम्रेक्षणचण्डमुण्डमथनी या रक्तबीजाशनी।
शक्तिः शुम्भनिशुम्भदैत्यदलनी या सिद्धिदात्री परा
सा देवी नवकोटिमूर्तिसहिता मां पातु विश्वेश्वरी॥

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