नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र - narasimha sahasranama stotram

नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र – narasimha sahasranama stotram

नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र – narasimha sahasranama stotram : नृसिंह पुराण में नरसिंह भगवान का सहस्रनाम स्तोत्र मिलता है जिसमें २२८ श्लोक हैं और यदि पूर्व पीठिका का भी योग कर दें तो १४ श्लोक और बढ़ जायेंगे। इस प्रकार नृसिंह सहस्रनाम स्तोत्र में श्लोकों की संख्या सर्वाधिक है। नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र ब्रह्मा जी द्वारा बताया गया है।

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नरसिंह अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र - narasimha ashtottara shatanama stotram

नरसिंह अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – narasimha ashtottara shatanama stotram

नरसिंह अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – narasimha ashtottara shatanama stotram : भगवान नरसिंह अवतार का मुख्य प्रयोजन भक्त प्रह्लाद की रक्षा करना ही नहीं था अपितु भक्त की महिमा को भी सिद्ध करना था। यहां दो महत्वपूर्ण नरसिंह शतनाम स्तोत्र (narsingh shatnam stotra) दिया गया है।

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नरसिंह कवच स्तोत्र - narsingh kavach stotra

नरसिंह कवच स्तोत्र – narsingh kavach stotra

नरसिंह कवच स्तोत्र – narsingh kavach stotra : दशावतारों में नरसिंह अवतार का विशेष महत्व इसलिये है क्योंकि इसमें नरसिंह भगवान भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हैं और इसके लिये हिरण्यकशिपु को मिले सभी वरदानों की तोड़ निकालकर एक ऐसा स्वरूप धारण करते हैं जो अद्वितीय है और वो है नर व सिंह का संयुक्त स्वरूप। इस प्रकार रक्षा की भावना हो तो भगवान नृसिंह से रक्षा कामना विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है।

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नरसिंह स्तवराज - narsingh stawraj

नरसिंह स्तवराज – narsingh stawraj

नरसिंह स्तवराज – narsingh stawraj : नरसिंह स्तवराज का शत्रुनाशक प्रयोग में विशेष महत्वपूर्ण स्थान है। भगवान नरसिंह ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा किया था इसलिये संकट हो, शत्रु बाधा हो उस स्थिति में इसका पाठ बताई गयी विधि के अनुसार करना लाभकारी होता है ऐसा इसके फलश्रुति में वर्णित है। किन्तु यह विशेष प्रयोग है और बिना गुरु का दिशा-निर्देश प्राप्त किये यह प्रयोग नहीं करना चाहिये।

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नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र - narsingh rin mochan stotra

नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र – narsingh rin mochan stotra

नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र – narsingh rin mochan stotra : भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा हेतु नरसिंह अवतार लिया था। नरसिंह भगवान की कथा पुराणों में वर्णित है। ऋण बहुत कष्टकारक होता है और भक्त जब ऋण से पीड़ित हो तो उसके लिये श्रीनृसिंह पुराण में ऋणमोचन स्तोत्र है जिसमें ८ मंत्र हैं जिसकी ध्रुव पंक्ति “श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये” है एवं नवां श्लोक फलश्रुति है।

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नरसिंह अष्टक - narsingh ashtakam

नरसिंह अष्टक – narsingh ashtakam

नरसिंह अष्टक – narsingh ashtakam : अष्टक में ८ स्तुति श्लोक होने से वह स्वतः विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है। भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिये भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण किया था और उनकी प्रसन्नता के लिये अष्टक स्तोत्रों का पाठ करना विशेष लाभकारी हो सकता है।

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नरसिंह स्तोत्र - narsingh stotra

नरसिंह स्तोत्र – narsingh stotra

नरसिंह स्तोत्र – narsingh stotra : क्रमशः गरुड़पुराणोक्त नृसिंह स्तोत्र, लिंग पुराणोक्त नृसिंह स्तोत्र, वीरभद्रकृत शिवपुराणोक्त नृसिंह स्तोत्र, ब्रह्मपुराणोक्त श्रीलक्ष्मीनृसिंह द्वादश नाम स्तोत्र दिये गये हैं जो कि भगवान नृसिंह की उपासना में बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं।

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नरसिंह स्तुति - narsingh stuti

नरसिंह स्तुति संस्कृत में – narsingh stuti

नरसिंह स्तुति संस्कृत में – narsingh stuti : भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्ति हो जाये तो क्या कहना ? भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्ति हेतु उनकी प्रसन्नता अपेक्षित होगी और इसके लिये उनके स्तुतियों की।

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